एक ऐसे कवि जो अपनी मन मोहक कविताओं और अपनी वाणी से ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखाते थे। जिन्हे रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है, ऐसी महान शख्सियत का नाम है, गोस्वामी तुलसीदास जी (Goswami Tulsidas Ji). रामभक्ति शाखा के महान कवि तुलसीदास जी का जन्म उत्तरप्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर नामक गाँव में हुआ था। इन्होनें रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रन्थ की रचना की और कई पुस्तकें लिखी जैसे कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका। तुलसीदास जी के दोहे संगति पर और चौपाइयों, छंदों ने जन मानस को राम भक्ति का सरल मार्ग दिखाया और जीवन दर्शन कराया।
एक समय ऐसा भी था जब तुलसीदास जी अपनी पत्नी रत्नावली के प्रेम में इतने अनुरक्त (मग्न) रहते थे कि एक दिन बहुत बारिश और अँधेरी रात होने के बावजूद वे अपनी पत्नी से मिलने उनके ससुराल पहुंच गए। यह सब देखकर उनकी पत्नी दंग रह गई और उन्होंने तुलसीदास जी को व्यंग्य के रूप में ताना दे दिया जिससे आहत होकर तुलसीदास जी के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया जिससे वे “गोस्वामी तुलसीदास जी” बन गए और वहाँ से काशी चले गए।
रत्नावली ने ऐसा क्या कहा:
अर्थात: मेरा शरीर तो चमड़े का बना है, जो एक दिन नष्ट हो जायेगा। इस नष्ट हो जाने वाले शरीर से प्रेम करो उससे अच्छा है की तुम राम नाम का जाप करो तो तुम्हारा कल्याण हो जाता।
उस दिन से तुलसीदास जी राम भक्ति में डूब गए और कई किताबे लिख दी जिनमें “रामचरितमानस” भी है।
आज मैं आपको तुलसीदास की अमृतवाणी (Tulsidas Ki Amritvani) तुलसीदास जी के दोहे अर्थ सहित बताएं हैं, इन्हें पढ़ें और इनसे प्रेरणा लें।
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संत तुलसीदास के दोहे हिंदी अर्थ सहित (1-20)
बिना तेज की पुरुष की, अवशि अवज्ञा होय।
आगि बुझे ज्यों राख की, आप छुवै सब कोय।।
हिंदी अर्थ: तेजहीन व्यक्ति की बात पर कोई ध्यान नहीं देता, उसकी बात कोई नहीं मानता। जैसे राख की आग जब बूझ जाती है तो सब उसे चुने लगते है।
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक।
हिंदी अर्थ: संत तुलसीदास जी कहते है की मुसीबत के समय यह चीज़े बहुत काम आती है, जैसे शिक्षा, विनम्रता, विवेक, साहस, सुकृति और हमारा अपना सत्य। साथ ही राम पर हमारा विश्वास।
काम क्रोध मद लोभ की, जौ लों मन में खान।
तों लों पंडित मूरखों, तुलसी एक समान।
हिंदी अर्थ: इंसान के मन में जब तक काम, क्रोध, अहंकार और लालच होती है, तब तक एक विद्वान् और एक मुर्ख में कोई फर्क नहीं। दोनों एक सामान है।
आवत ही हर्षे नहीं नैनन नहीं सनेह।
तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।
हिंदी अर्थ: जिस घर में जाने पर आपको देखके लोग खुश ना हो और उनकी आखों में प्रेम ना दिखाई पड़े तो ऐसे घर में कभी ना जाये, चाहे वहा पैसो की बारिश ही क्यों ना हो रही हो।
मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुवीर।
अस बिचारि रघुबंस मनि, हरहु विषम भव भीर।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास कहते है की हे रघुवीर मेरे जैसा को दीनहीन नहीं और तुम्हारे जैसा को दीनहीन का भला करने वाला कोई नहीं। ऐसा विचार के हे रघुवंष मेरे जन्म-मृत्यु के भय को हर लो।
कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम ।
तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम॥
हिंदी अर्थ: जैसे कामना से भरे व्यक्ति को औरत प्यारी लगती है, जैसे लालची व्यक्ति को दौलत प्यारी लगती है वैसे ही हे रघुनाथ, हे राम आप मुझे प्यारे लगते हो।
मसकहि करइ बिरंचि प्रभु अजहि मसक ते हीन।
अस बिचारि तजि संसय रामहि भजहिं प्रबीन॥
हिंदी अर्थ: तुलसीदास कहते है की राम एक छोटे से मच्छर को प्रभु बना सकते है और प्रभु को छोटा सा मच्छर भी बना सकते है। ऐसी समझ रखने वाले विद्वान् लोग सारी आशंकाए त्यागकर राम की ही भक्ति करते है।
सो कुल धन्य उमा सुनु जगत पूज्य सुपुनीत।
श्रीरघुबीर परायन जेहिं नर उपज बिनीत।।
हिंदी अर्थ: ऐसा कुल जिसमे राम की भक्ति करने वाले लोग जन्म लेते हो वो कुल धन्य है और दुनिया के लिए पूजनीय है।
तुलसी किएं कुसंग थिति, होहि दाहिने बाम।
कहि सुनि सुकुचिअ सूम खल, रत हरि संकर नाम।।
हिंदी अर्थ: बुरी संगत में रहने से लोग बदनाम ही होते है और वो अपनी इज़्ज़त खो देते है, जैसे देवी-देवताओ का नाम रखकर बुरी संगत में रहे तो उन पावन नामो को कोई असर नहीं होता।
बसि कुसंग चाह सुजनता, ताकी आस निरास।
तीरथहू को नाम भो, गया मगह के पास।।
हिंदी अर्थ: गलत संगत में रहने वाला इंसान अपने काम में सफलता की उम्मीद करता है तो उसे कभी सफलता नहीं मिलती। ठीक उसी तरह जैसे मगध के पास होने के कारण विष्णुपद तीर्थ का नाम गया पद गया।
सो तनु धरि हरि भजहिं न जे नर, होहिं बिषय रत मंद मंद तर ॥
काँच किरिच बदलें ते लेहीं, कर ते डारि परस मनि देहीं ॥
हिंदी अर्थ: जो लोग इंसान का शरीर पाकर भी राम भक्ति नहीं करते और दुनिया के मोह में खोये रहते है, वो ऐसे मुर्ख इंसान जैसे है जो पारस मणि को फ़ेंक देते है और कांच का टुकड़ा उठा लेते है।
मुखिया मुखु सो चाहिऐ, खान पान कहुँ एक ।
पालइ पोषइ सकल अंग, तुलसी सहित विवेक ।।
हिंदी अर्थ: अर्थात: परिवार में बड़े को मुँह जैसा होना चाहिए, वो खाता-पिता अपने मुख से है और शरीर के सभी अंगो का अपनी बुद्धी से पोषण करता है।
तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।
तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।
हिंदी अर्थ: जो लोग दुसरो की निंदा करके खुद अपने लिए सम्मान ढूंढ़ते है वैसे लोगो के मुँह पर ऐसी कालिख लग जाती है जो लाखों बार धोने पर भी नहीं मिट सकती।
बचन बेष क्या जानिए, मनमलीन नर नारि।
सूपनखा मृग पूतना, दस मुख प्रमुख विचारि।।
हिंदी अर्थ: किसी की मीठी बोली या सुन्दर कपड़ों से उनके भीतर की भावना कैसी है यह जान नहीं सकते। सूपनखा, मारीच, पूतना और रावण यह सभी सुन्दर वस्त्र पहनते थे पर मन से मैले थे।
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।
हिंदी अर्थ: किसी इंसान के अच्छे और उम्दा कपडे देखकर सिर्फ बेवक़ूफ़ ही नहीं, बल्कि बुद्धिमान इंसान भी धोका खा सकते है। बिलकुल उसी तरह जैसे मोर के पंख सुन्दर और उसकी वाणी मीठी लगती है पर उसका भोजन सांप होता है।
सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास।
हिंदी अर्थ: कोई सलाहकार, कोई चिकित्सक या कोई गुरु जब झूठ बोलने लगते है तब धर्म और शरीर का नाश निश्चित है।
एक अनीह अरूप अनामा । अज सच्चिदानन्द पर धामा।
ब्यापक विश्वरूप भगवाना । तेहिं धरि देह चरित कृत नाना।
हिंदी अर्थ: भगवन एक ही है, उन्हें कोई इच्छा नहीं होती और उनका कोई रूप या नाम नहीं। उनका जन्म नहीं हुआ, वे परमानन्द है। उस विश्वरूप भगवन ने अनेक चेहरे और अनेक शरीर धारण कर रखे है।
सो केवल भगतन हित लागी । परम कृपाल प्रनत अनुरागी ।
जेहि जन पर ममता अति छोहू । जेहि करूना करि कीन्ह न कोहू ।
हिंदी अर्थ: भगवन अपने भक्तो के लिए ही अपनी कृपा बरसाते है। वे परम कृपालु और भक्त के दोस्त है। वे केवल प्रेम करते है और किसी पर क्रोध नहीं करते।
जपहिं नामु जन आरत भारी । मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ।
राम भगत जग चारि प्रकारा । सुकृति चारिउ अनघ उदारा ।
हिंदी अर्थ: जब कोई भक्त संकट के वक्त भगवान को याद करता है तो भगवान उनकी मदद ज़रूर करते है, इससे भक्त सुखी हो जाते है। अर्थाथ; आर्त; जिज्ञासु और ज्ञानी यह चार प्रकार के भक्त है जो पुण्य के भागी होते है।
सकल कामना हीन जे राम भगति रस लीन
नाम सुप्रेम पियुश हृद तिन्हहुॅ किए मन मीन।
हिंदी अर्थ: जो अपनी सभी इच्छाओ को छोड़कर बस राम की भक्ति में लीन होते है वे प्रेम के सागर में अपने मन को मछली की तरह रखते है और कभी भी अलग नहीं होना चाहते वही सच्चे भक्त है।
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Tulsidas Amritwani Dohe (20-40)
भगति निरूपन बिबिध बिधाना। छमा दया दम लता बिताना।
सम जम नियम फूल फल ग्याना। हरि पद रति रस बेद बखाना।
हिंदी अर्थ: अनेक तरीको से भक्ति करना और क्षमा, दया, दम लताओं के मंडप समान है। ईशवर के चरणों में प्रेम भक्ति का रस है और यह वेदों में लिखा हुआ है।
झूठेउ सत्य जाहि बिनु जानें। जिमि भुजंग बिनु रजु पहिचानें॥
जेहि जानें जग जाइ हेराई। जागें जथा सपन भ्रम जाई॥
हिंदी अर्थ: भगवान को न समझने पर झूठ आपको सत्य जैसा लगता है जैसे बिना रस्सी को पहचाने वह आपको सांप जैसी लगती है। लेकिन भगवान को जान लेने पर संसार का उसी तरह सच समझ आता है जैसे जागने पर स्वप्न का भ्रम टूट जाता है।
जिन्ह हरि कथा सुनी नहि काना, श्रवण रंध्र अहि भवन समाना।
हिंदी अर्थ: जिसने अपने कानो द्वारा प्रभु की कथा नहीं सुने उसके कान का छेद सांप के बिल जैसा है।
जिन्ह हरि भगति हृदय नहि आनी, जीवत सब समान तेइ प्राणी।
जो नहि करई राम गुण गाना, जीह सो दादुर जीह समाना।
हिंदी अर्थ: जिस इंसान के दिल में भगवान की भक्ति नहीं वह ज़िंदा होकर भी मुर्दा के समान है और जिसने भगवान का गुण नहीं गाया उसकी ज़बान मेंढक की जीभ समान है।
कुलिस कठोर निठुर सोई छाती, सुनि हरि चरित न जो हरसाती।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास कहते है की उसका दिल कठोर और निठुर है जिनका दिल भगवान का चरित्र सुनकर भी प्रसन्न नहीं होता।
सगुनहि अगुनहि नहि कछु भेदा । गाबहि मुनि पुराण बुध भेदा।
अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बश सगुन सो होई।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास जी के अनुसार सुगुण और निर्गुण में कोई अंतर नहीं। मुनि पुराण पन्डित बेद सबका यह मानना है की जो निर्गुण है वही भक्तो के प्रेम के कारण सुगुण है।
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता, कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता।
रामचंन्द्र के चरित सुहाए, कलप कोटि लगि जाहि न गाए।
हिंदी अर्थ: भगवान अनंत है, उनकी कथाएं भी अनंत है। भक्त जन उन्हें अनेक प्रकारों से जानते है और वर्णन करते है। करोडो युगो में भी श्री राम का सुन्दर चरित्र नहीं गाया जा सकता है।
प्रभु जानत सब बिनहि जनाएँ ।कहहुॅ कवनि सिधि लोक रिझाए।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास जी कहते है की प्रभु को सबकुछ पता है। दुनिया को प्रसन्न करके कभी सिद्धि प्राप्त नहीं होती।
तपबल तें जग सुजई बिधाता, तपबल बिश्णु भए परित्राता।
तपबल शंभु करहि संघारा, तप तें अगम न कछु संसारा।
हिंदी अर्थ: तपस्या से भगवान ने इस संसार की रचना की, तपस्या से विष्णु संसार का पालन करते है। तपस्या से शिव संसार का संहार करते है, तपस्या से संसार का हर काम किया जा सकता है।
हरि ब्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम ते प्रगट होहिं मै जाना।
देस काल दिशि बिदि सिहु मांही, कहहुॅ सो कहाॅ जहाॅ प्रभु नाहीं।
हिंदी अर्थ: भगवान हमेशा मौजूद है। देश, विदेश और सभी दिशाओ में मौजूद है। उन्हें प्रेम से बुलाने पर वो प्रगट हो जाते है। प्रभु कहाँ मौजूद नहीं ये कहा नहीं जा सकता।
तुम्ह परिपूरन काम जान सिरोमनि भावप्रिय।
जन गुन गाहक राम दोस दलन करूनायतन।
हिंदी अर्थ: भगवान पूर्णकाम भक्तो के शिरोमणि और सज्जनो के प्यारे है। वह भक्तो के गुण गाहक और बुराइयों का नाश करने वाले और दयालु है।
करहिं जोग जोगी जेहि लागी, कोहु मोहु ममता मदु त्यागी।
व्यापकु ब्रह्मु अलखु अविनासी, चिदानंदु निरगुन गुनरासी।
हिंदी अर्थ: जॉब योगी अपने प्रभु के लिए क्रोध, मोह, ममता और अहंकार का त्याग करदेता है। वो सर्वव्यापक ब्रह्म अब्यक्त अविनासी चिदानंद निर्गुण और गुणों की खान बन जाता है।
मन समेत जेहि जान न वानी, तरकि न सकहिं सकल अनुमानी।
महिमा निगमु नेति कहि कहई, जो तिहुॅ काल एकरस रहई।
हिंदी अर्थ: जिसका पुरे मन से शब्दों में उल्लेख नहीं किया जा सकता, जिसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता, जिसकी महिमा को वेदों में नेति कहा गया है और वो एकरस है।
दोस्ती पर कवि तुलसीदास के दोहे।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास कहते है की जो अपने दोस्त के दुःख से दुखी नहीं होता उसे देखने से भी भरी पाप लगता है। हमें अपने पहाड़ समान दुःख को छोटा और दोस्तों के धूल बराबर दुःख को पहाड़ समान समझना चाहिए।
जिन्ह कें अति मति सहज न आई, ते सठ कत हठि करत मिताई।
कुपथ निवारि सुपंथ चलावा, गुन प्रगटै अबगुनन्हि दुरावा।
हिंदी अर्थ: जिनके अंदर इस प्रकार की बुद्धि न हो वो ज़िद करके दोस्त बनाता है। सच्चा दोस्त आपको गलत रास्ते पर जाने से रोकता है और सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। वह आपके अवगुण छुपाकर सिर्फ गुणों को गिनाता है।
देत लेत मन संक न धरई, बल अनुमान सदा हित करई।
विपति काल कर सतगुन नेहा, श्रुति कह संत मित्र गुन एहा।
हिंदी अर्थ: अपने दोस्त के साथ लेन-देन में ना घबराये, अच्छे मित्र के साथ हमेशा भलाई करें। संकट के समय वह सौ गुण स्नेह प्रेम करता है, यही एक अच्छे मित्र के गुण है।
आगें कह मृदु वचन बनाई, पाछे अनहित मन कुटिलाई।
जाकर चित अहिगत सम भाई, अस कुमित्र परिहरेहि भलाई।
हिंदी अर्थ: जो आपके सामने बाते बना-बनाकर मीठा बोलता है पर उसके मन के अंदर बुरी भावना रखता है, जिसका मन सांप की तरह टेड़ा चलता है ऐसे दोस्त से दोस्ती ना रखने में ही भलाई है।
सत्रु मित्र सुख दुख जग माहीं, माया कृत परमारथ नाहीं।
हिंदी अर्थ: इस संसार में दुश्मन, दोस्त, सुख, दुःख, माया और झूठे है पर वास्तव में यह सब नहीं है।
सुर नर मुनि सब कै यह रीती, स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती।
हिंदी अर्थ: सब अपने स्वार्थ के लिए ही प्रेम करते है, चाहे वो देवता हो, इंसान हो या मुनि हो.
तुलसीदास जी के दोहे संगति पर (41-60)
कठिन कुसंग कुपंथ कराला, तिन्ह के वचन बाघ हरि ब्याला।
गृह कारज नाना जंजाला, ते अति दुर्गम सैल विसाला।
हिंदी अर्थ: ख़राब सांगत में रहना बहुत ही बुरा रास्ता है, कुसंगियों के बोल बाघ, सिंह और सांप जैसे है। घर के कामकाज के अनेक झंझट ही एक विशाल पहाड़ की तरह है।
सुभ अरू असुभ सलिल सब बहई, सुरसरि कोउ अपुनीत न कहई।
समरथ कहुॅ नहि दोश् गोसाईं, रवि पावक सुरसरि की नाई।
हिंदी अर्थ: गंगा में शुद्ध और अशुद्ध दोनों प्रकार का जल बहता है पर कोई उसे अपवित्र नहीं कहता। सूरज, आग और गंगा की तरह समर्थ इंसान को कोई दोष नहीं लगाता।
बडे सनेह लघुन्ह पर करहीं, गिरि निज सिरनि सदा तृन धरहीं।
जलधि अगाध मौलि बह फेन, संतत धरनि धरत सिर रेनू।
हिंदी अर्थ: बड़े हमेशा छोटो से प्रेम करते है। पहाड़ के सर पर हमेशा घास रहती है, समुद्र में फैन जमा रहता है और धरती के ऊपर हमेशा धूल रहती है।
बैनतेय बलि जिमि चह कागू, जिमि ससु चाहै नाग अरि भागू।
जिमि चह कुसल अकारन कोही, सब संपदा चहै शिव द्रोही।
लोभी लोलुप कल कीरति चहई, अकलंकता कि कामी लहई।
हिंदी अर्थ: अगर गरुड़ के हिस्सा कौआ मांगे, सिंह का हिस्सा खरगोश मांगे। बिना किसी कारण क्रोध करने वाला कुशलता मांगे, शिव विरोधी संपत्ति मांगे, लोभी अच्छी कीर्ति मांगे और कामी इंसान बदनामी नहीं चाहे तो इन सब की इच्छाए व्यर्थ है।
ग्रह भेसज जल पवन पट पाई कुजोग सुजोग।
होहिं कुवस्तु सुवस्तु जग लखहिं सुलक्षन लोग।
हिंदी अर्थ: घर, दवाई, पानी और हवा यह सब कुसंगित और सुसंगीत पाकर बुरे या अच्छे बन जाते है। ज्ञानी और विद्वान् लोग ही इसकी पहचान कर सकते है।
को न कुसंगति पाइ नसाई, रहइ न नीच मतें चतुराई।
हिंदी अर्थ: संगती से सभी का नाश हो जाता है। नीच लोगो के अनुसार चलने से चतुराई और बुद्धि दोनों भ्रष्ट हो जाती है।
तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग।
हिंदी अर्थ: अगर तराज़ू के एक पलड़े में स्वर्ग के सभी प्रकार के सुख को रखा जाए तब भी वो एक पल के सत्संग से मिलने वाले सुख के बराबर नहीं होता।
सुनहु असंतन्ह केर सुभाउ, भूलेहु संगति करिअ न काउ।
तिन्ह कर संग सदा दुखदाई, जिमि कपिलहि घालइ हरहाई।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास यहाँ असंतो के गुण बता रहे है। वे कहते है की कभी भूलकर भी असंतो की संगत में ना रहे, उनकी संगती से हमेशा नुक्सान होता है। ख़राब गाय के साथ अगर अच्छी दुधारू गाय को रखा जाए तो अच्छी गाय में वो खराबी आ जाती है।
खलन्ह हृदयॅ अति ताप विसेसी, जरहिं सदा पर संपत देखी।
जहॅ कहॅु निंदासुनहि पराई, हरसहिं मनहुॅ परी निधि पाई।
हिंदी अर्थ: दुर्जन के दिल में हमेशा संताप रहता है, दुसरो मो सुखी देखकर उन्हें जलन होती है। वह दुसरो की बुराई सुनकर बड़े खुश होते है जैसे रास्ते में पड़ा कोई खज़ाना न मिल गया हो।
काम क्रोध मद लोभ परायन, निर्दय कपटी कुटिल मलायन।
वयरू अकारन सब काहू सों, जो कर हित अनहित ताहू सों।
हिंदी अर्थ: वो काम, क्रोध, अहंकार और लोभ में डूबे होते है, वो निर्दयी और कपटी होते है। बिना किसी कारण वो दूसरों से दुश्मनी रखते है और जो भलाई करता है उससे बुराई करते है।
झूठइ लेना झूठइ देना, झूठइ भोजन झूठ चवेना।
बोलहिं मधुर बचन जिमि मोरा, खाइ महा अति हृदय कठोरा।
हिंदी अर्थ: दुष्ट का लेन-देन सब झूठा होता है। उनका नाश्ता, भोजन सब झूठ ही होता है जैसे मोर बहुत मीठा बोलता है पर वो इतना कठोर होता है की ज़हरीले सांप को भी खा जाता है।
तुलसीदास के दार्शनिक विचार।
(Tulsidas Ke Darshanik Vichar)
पर द्रोही पर दार पर धन पर अपवाद।
तें नर पाॅवर पापमय देह धरें मनुजाद।
हिंदी अर्थ: वो लोग दुसरो के द्रोही होते है, पराया धन और परायी स्त्री की निंदा में लगे रहते है। ऐसे इंसान पामर और पापमय शरीर में राक्षश होते है।
लोभन ओढ़न लोभइ डासन, सिस्नोदर नर जमपुर त्रास ना।
काहू की जौं सुनहि बड़ाई, स्वास लेहिं जनु जूड़ी आई।
हिंदी अर्थ: लोभ लालच ही उनका ओढ़ना, बिछाना होता है। वे जानवर के जैसे भोजन और मैथुन करते है। उन्हें यमलोक का कोई दर नहीं, उन्हें दुसरो की प्रशंशा सुनकर मानो बुखार चढ़ जाता है।
जब काहू कै देखहिं बिपती। सुखी भए मानहुॅ जग नृपति।
स्वारथ रत परिवार विरोधी। लंपट काम लोभ अति क्रोधी।
हिंदी अर्थ: दूसरों को मुसीबत में देखकर वे खुश होते है। अपने मतलब में लीन वो अपने परिवार के सभी लोगो के विरोधी होते है। काम वासना और लोभ में लिप्त वो अति क्रोधित होते है।
मातु पिता गुर विप्र न मानहिं, आपु गए अरू घालहिं आनहि।
करहिं मोहवस द्रोह परावा, संत संग हरि कथा न भावा।हिंदी अर्थ: ऐसे लोग माता-पिता और गुरु में नहीं मानते। खुद तो नष्ट रहते है दुसरो को भी अपनी संगती में लेकर उन्हें बर्बाद कर देते है। अपने मतलब के लिए दूसरों से द्रोह करते है। ऐसे लोगो को संतो की संगती और ईश्वर की कथा पसंद नहीं आती।
अवगुन सिधुं मंदमति कामी, वेद विदूसक परधन स्वामी।
विप्र द्रोह पर द्रोह बिसेसा, दंभ कपट जिए धरें सुवेसा।
हिंदी अर्थ: दुर्गुणों का दरिया, मंदबुद्धि, काम वासना में लिप्त ज़बरदस्ती वेदों की निंदा करने वाले और दुसरो का धन लूटने वाले। उनका दिल घमंड और छल से भरा होता है पर उनके कपडे सुन्दर होते है।
भक्ति सुतंत्र सकल सुख खानी, बिनु सतसंग न पावहिं प्रानी।
पुन्य पुंज बिनु मिलहिं न संता, सत संगति संसृति कर अंता।
हिंदी अर्थ: भक्ति स्वतंत्रन रूप से सभी सुखों की खान है पर बिना संतो की संगत के भक्ति नहीं मिल सकती। पुण्य किये बिना संतो की सांगत नहीं मिलती और संतो की सांगत ही जीवन-मरण के चक्कर से छुटकारा है।
जेहि ते नीच बड़ाई पावा, सो प्रथमहिं हति ताहि नसाबा।
धूम अनल संभव सुनु भाई, तेहि बुझाव घन पदवी पाई।
हिंदी अर्थ: नीच इंसान को जिससे बड़प्पन मिलता है वो सबसे पहले उसीका नाश कर देता है। जब आग से धुआँ निकलता है तो धुआँ मेघ बनकर सबसे पहले आग को ख़तम कर देता है।
रज मग परी निरादर रहई, सब कर पद प्रहार नित सहई।
मरूत उड़ाव प्रथम तेहि भरई, पुनि नृप नयन किरीटन्हि परई।
हिंदी अर्थ: धूल रास्ते पर निरादर पड़ी रहती है और सभी के पैरो की चोट सहती रहती है लेकिन हवा के उड़ने पर सबसे पहले वो हवा में भर जाती है फिर राजाओ के मुकुट और आखों पर पड़ती है।
Tulsidas Ki Bani (61-80)
सुनु खगपति अस समुझि प्रसंगा। बुध नहिं करहिं अधम कर संगा।
कवि कोविद गावहिं असि नीति। खल सन कलह न भल नहि प्रीती।।
हिंदी अर्थ: समझदार लोग नीच लोगो की संगत में नहीं रहते। कवी और पंडित कहते है की नीच लोगो से ना झगड़ा अच्छा और नाही प्रेम।
उदासीन नित रहिअ गोसांई।
खल परिहरिअ स्वान की नाई।
हिंदी अर्थ: नीच से हमेशा उदासीन ही रहना चाहिए। कुत्ते की तरह नीच को दूर से ही भगा देना चाहिए।
सन इब खल पर बंधन करई, खाल कढ़ाइ बिपति सहि मरई।
खल बिनु स्वारथ पर अपकारी। अहि मूशक इब सुनु उरगारी।
हिंदी अर्थ: कुछ लोग जुट की तरह दूसरों को बांधते है और जुट में बाँधने में लिए अपनी खाल तक खिचवाते है। वह दुःख सहकर मर जाता है। नीच लोग बिना स्वार्थ के सांप और चूहे की तरह दुसरो पर अपकार करते है।
पर संपदा बिनासि नसाहीं। जिमि ससि हति हिम उपल बिलाहीं।
दुश्ट उदय जग आरति हेतू।जथा प्रसिद्ध अधम ग्रह केतू।
हिंदी अर्थ: वे दूसरों को बर्बाद कर खुद भी नष्ट हो जाते है, जैसी खेती को बर्बाद करके ओला खुद नष्त्य हो जाता है। दुष्ट का जन्म संसार के दुःख के लिए होता है।
जद्यपि जग दारून दुख नाना, सब तें कठिन जाति अवमाना।
हिंदी अर्थ: इस संसार में अनेक प्रकार के दुःख है परन्तु सबसे बड़ा दुःख जाती अपमान है।
रिपु तेजसी अकेल अपि लघु करि गनिअ न ताहु
अजहुॅ देत दुख रवि ससिहि सिर अवसेशित राहु।
हिंदी अर्थ: समझदार दुश्मन अगर अकेला भी हो तो उसे कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। राहु का सिर्फ सिर बच गया था परन्तु आज भी वो सूरज और चाँद को ग्रसित करता है।
भरद्वाज सुनु जाहि जब होइ विधाता वाम
धूरि मेरूसम जनक जम ताहि ब्यालसम दाम।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास जी कहते है की जब ईश्वर का स्मरण नहीं होता तब धूल पर्वत के समान, पिता काल के समान और रस्सी सांप के समान लगती है।
सासति करि पुनि करहि पसाउ। नाथ प्रभुन्ह कर सहज सुभाउ।
हिंदी अर्थ: अच्छे गुरु का स्वाभाव ऐसा होता है की वो सेवक को पहले दंड देकर फिर उसपर कृपा करता है।
सुख संपति सुत सेन सहाई।जय प्रताप बल बुद्धि बडाई।
नित नूतन सब बाढत जाई।जिमि प्रति लाभ लोभ अधिकाई।
हिंदी अर्थ: सुख, धन, संपत्ति, संतान, सेना, मददगार, विजय, प्रताप, बुद्धि, शक्ति और प्रशंसा जैसे जैसे यह सब बढ़ते जाते है वैसे ही लोभ भी बढ़ता जाता है।
जिन्ह कै लहहिं न रिपु रन पीढी। नहि पावहिं परतिय मनु डीठी।
मंगन लहहिं न जिन्ह कै नाहीं। ते नरवर थोरे जग माहीं।
हिंदी अर्थ: ऐसे वीर जो युद्ध से कभी नहीं भागते, परायी स्त्री पर कभी नज़र नहीं डालते, जिनके द्वार से भिखारी कभी खाली हाथ नहीं जाते ऐसे लोग दुनिया में बहुत कम है।
टेढ जानि सब बंदइ काहू।वक्र्र चंद्रमहि ग्रसई न राहू।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास जी कहते है की टेड़ा जानकर लोग किसी भी व्यक्ति की प्रार्थना करते है। टेड़े चाँद को राहु भी कभी ग्रसित नहीं करता।
सेवक सदन स्वामि आगमनु, मंगल मूल अमंगल दमनू।
हिंदी अर्थ: सेवक के घर अगर स्वामी आते है तो घर में सबकुछ मंगल होता है और अमंगल घर से चला जाता है।
काने खोरे कूबरे कुटिल कुचाली जानि।
तिय विसेश पुनि चेरि कहि भरत मातु मुसकानि।
हिंदी अर्थ: संत तुलसीदास कहते है – भरत की माँ कहती है की कानों, लंगरों और कुवरों को कुटिल और खराब चालचलन वाला जानना चाहिये।
कोउ नृप होउ हमहिं का हानि।
चेरी छाडि अब होब की रानी।
हिंदी अर्थ: कोई भी राजा बन जाए, हमारा क्या नुक्सान है।
दासी छोड क्या मैं अब रानी हो जाउॅगा।
तसि मति फिरी अहई जसि भावी।
हिंदी अर्थ: दासी छोड़कर में क्या रानी बन जाऊ। वैसी हीं बुद्धि भी फिर बदल जाती है।
रहा प्रथम अब ते दिन बीते, समउ फिरें रिपु होहिं पिरीते।
हिंदी अर्थ: पहले वाली बाते अब गुज़र चुकी। समय आने पर दोस्त भी दुश्मन बन जाते है।
अरि बस दैउ जियावत जाही।
मरनु नीक तेहि जीवन चाही।
हिंदी अर्थ: ईश्वर जिसे शत्रु की तरह ज़िंदा रखे उसे ज़िंदा रहने के बजाय मर जाना बेहतर है।
सूल कुलिस असि अंगवनिहारे। ते रतिनाथ सुमन सर मारे।
हिंदी अर्थ: जो इंसान तलवार, त्रिशूल और बज्र जैसे हथियारों की मार अपने अंग पर सेह लेते है वो भी कामदेव के पुष्प बाण से मारे जाते है।
कवने अवसर का भयउॅ नारि विस्वास।
जोग सिद्धि फल समय जिमि जतिहि अविद्या नास।
हिंदी अर्थ: जाने कब क्या हो जाये, स्त्री पर विश्वास करके इंसान उसी प्रकार मारा जाता है जैसी योगी को सिद्धि मिलने के समय उसकी अविद्या उसे नष्ट कर देती है।
दुइ कि होइ एक समय भुआला, हॅसब ठइाइ फुलाउब गाला।
दानि कहाउब अरू कृपनाई, होइ कि खेम कुसल रीताई।
हिंदी अर्थ: ठहाका मारकर हसना और साथ ही गुस्से से मुँह फुलाना यह एक साथ संभव नहीं। दानी और कृपण बनना, युद्ध में बहादुरी और चोट भी ना लग्न ये कभी संभव नहीं।
सत्य कहहिं कवि नारि सुभाउ, सब बिधि अगहु अगाध दुराउ।
निज प्रतिबिंबु बरूकु गहि जाई, जानि न जाइ नारि गति भाई।
हिंदी अर्थ: स्त्री का स्वभाव समझ के बाहर है, अथाह और रहस्य्मय है। कोई शायद अपनी परछाई को तो पकड़ ले पर स्त्री की चाल को नहीं समझ सकता।
काह न पावकु जारि सक का न समुद्र समाइ।
का न करै अवला प्रवल केहि जग कालु न खाइ।
हिंदी अर्थ: आग किसे नहीं जला सकती? समुद्र में क्या क्या नहीं समां सकता? अबला नारी बहुत प्रबल होती है वो कुछ भी कर सकती है। काल किसे नहीं खा सकता है?
Tulsidas Ji Ke Dohe (81-100)
जहॅ लगि नाथ नेह अरू नाते, पिय बिनु तियहि तरनिहु ते ताते।
तनु धनु धामु धरनि पुर राजू, पति विहीन सबु सोक समाजू।
हिंदी अर्थ: पति के बिना स्त्री के लिए लोगो का स्नेह सूर्य से भी ज़्यादा ताप देने वाला होता है। शरीर धन घर धरती नगर और राज्य यह सब स्त्री के लिए पति के बिना सिर्फ दुःख का कारण होता है।
सुभ अरू असुभ करम अनुहारी, ईसु देइ फल हृदय बिचारी।
करइ जो करम पाव फल सोई, निगम नीति असि कह सबु कोई।
हिंदी अर्थ: भगवान अच्छे और बुरे कर्मो के हिसाब से दिल में फल विचार देता है। ऐसा वेद निति और लोग कहते है।
काहु न कोउ सुख दुख कर दाता, निज कृत करम भोग सबु भ्राता।
हिंदी अर्थ: कोई दूसरा किसीको खुशियां या दुःख दे नहीं सकता। सबको अपने कर्मो का फल ही भुगतना पड़ता है।
जोग वियोग भोग भल मंदा, हित अनहित मध्यम भ्रम फंदा।
जनमु मरनु जहॅ लगि जग जालू, संपति बिपति करमु अरू कालू।
हिंदी अर्थ: मिलना और बिछड़ना, अच्छे बुरे फल, दुश्मन, दोस्त और तटस्थ ये सब भ्रम है। जन्म, मृत्यु, संपत्ति, विपत्ति कर्म और काल ये सभी इस संसार के जंजाल है।
बिधिहुॅ न नारि हृदय गति जानी, सकल कपट अघ अवगुन खानी।
हिंदी अर्थ: एक नारी के दिल की चाल भगवान भी नहीं जान सकता। वह छल, कपट, पाप और अवगुणों का भण्डार होती है।
सुनहुॅ भरत भावी प्रवल विलखि कहेउ मुनिनाथ।
हानि लाभ जीवनु मरनु जसु अपजसु विधि हाथ।
हिंदी अर्थ: मुनिनाथ ने भरी दुःख के साथ भरत से कहा की ज़िन्दगी में फायदा-नुक्सान, जीवन, मृत्यु, प्रतिष्ठा यह सब ईश्वर के हाथ में होता है।
विशय जीव पाइ प्रभुताई, मूढ़ मोह बस होहिं जनाई।
हिंदी अर्थ: मूर्ख इंसान सांसारिक जीव पाकर मोह में पड़ जाते है और अपने असली स्वभाव को प्रकट कर देते है।
रिपु रिन रंच न राखब काउ।
हिंदी अर्थ: दुश्मन और ऋण को कभी भी बाकी नहीं रखना चाहिए। थोड़ी मात्रा में भी नहीं छोड़ना चाहिए।
लातहुॅ मोर चढ़ति सिर नीच को धूरि समान।
हिंदी अर्थ: धूल जैसी (नीच) हलकी चीज़ भी पैर मारने पर सर पर चढ़ जाती है।
अनुचित उचित काजु किछु होउ, समुझि करिअ भल कह सब कोउ।
सहसा करि पाछें पछिताहीं, कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।
हिंदी अर्थ: किसी भी काम को उचित अनुचित के बारे में सोचकर किया जाए तो उसे अच्छा कहते है। वेद और विद्वान् लोग कहते है की जो काम जल्दी-जल्दी में बिना विचारे करके पछताए वो बुद्धिमान नहीं है।
विशई साधक सिद्ध सयाने, त्रिविध जीव जग बेद बखाने।
हिंदी अर्थ: वेदों के अनुसार इस दुनिया में तीन प्रकार के इंसान है। संसारी, साधक और सिद्ध इंसान।
सुनिअ सुधा देखिअहि गरल सब करतूति कराल।
जहॅ तहॅ काक उलूक बक मानस सकृत मराल।
हिंदी अर्थ: अमृत तो सिर्फ सुनने की बात है, जहर तो हर जगह मौजूद है। कौआ, उल्लू और बगुला हर जगह मौजूद होते है पर हंस सिर्फ मानसरोवर पर ही रहते है।
सुनि ससोच कह देवि सुमित्रा, बिधि गति बड़ि विपरीत विचित्रा।
तो सृजि पालई हरइ बहोरी, बालकेलि सम बिधि मति भोरी।
हिंदी अर्थ: ईश्वर की चाल बहुत ही विचित्र है। वह संसार का सर्जन करता है, उसका पालन करता है और उसका संहार भी कर देता है। ईश्वर की बुद्धि बच्चो जैसी भोली है।
कसे कनकु मनि पारिखि पायें, पुरूश परिखिअहिं समयॅ सुभाए।
हिंदी अर्थ: सोना बहुत कसौटियों में कसने और हीरा जोहरी के द्वारा ही पहचाना जाता है। इंसान की परीक्षा समय आने पर उसके चरित्र से होती है।
सुहृद सुजान सुसाहिबहि बहुत कहब बड़ि खोरि।
हिंदी अर्थ: बिना कारण दुसरो की मदद या भलाई करने वाले बुद्धिमान और श्रेष्ठ है यह कहना गलत है।
धीरज धर्म मित्र अरू नारी, आपद काल परिखिअहिं चारी।
बृद्ध रोगबश जड़ धनहीना, अंध बधिर क्रोधी अतिदीना।
हिंदी अर्थ: धैर्य, धर्म, दोस्त, और नारी की परीक्षा मुसीबत के समय होती है। बूढ़ा, रोगी, मूर्ख, गरीब, अन्धा, बहरा, क्रोधी और अत्यधिक गरीब यह सब का इम्तेहान ऐसे ही समय मे होता है।
कठिन काल मल कोस धर्म न ग्यान न जोग जप।
हिंदी अर्थ: अनेक पापो का भंडार है ये कलयुग जिसमे धर्म, ज्ञान, योग, तपस्या आदि कुछ नही बचा।
मैं अरू मोर तोर तैं माया, जेहिं बस कहन्हें जीव निकाया।
हिंदी अर्थ: मैं और मेरा, तू और तेरा यही सब मोह माया है। जिसने सभी जीवों को वश में कर रखा है।
रिपु रूज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास कहते है कि दुश्मन, बीमारी, आग, पाप, स्वामी और सांप इन सबको कभी भी छोटा नही समझना चाहिए।
नवनि नीच कै अति दुखदाई, जिमि अंकुस धनु उरग बिलाई।
भयदायक खल कै प्रिय वानी, जिमि अकाल के कुसुम भवानी।
हिंदी अर्थ: नीच इंसान की नम्रता बहुत ही पीड़ादायक होती है। जैसे अंकुश, धनुष, सांप और बिल्ली का झुकना। नीच की मीठी वाणी उसी तरह डरावनी होती है जैसे बिना मौसम के फूल।
संत तुलसीदास के दोहे (100-120)
कबहुॅ दिवस महॅ निविड़ तम कबहुॅक प्रगट पतंग।
बिनसइ उपजइ ग्यान जिमि पाइ कुसंग सुसंग।
हिंदी अर्थ: बादलों के कारण कभी दिन में अंधेरा होजाता है तो कभी सूरज आ जाता है। जैसे कुसंग की संगत में ज्ञान नष्ट होजाता है और सुसंग की संगत में ज्ञान बढ़ जाता है।
भानु पीठि सेअइ उर आगी, स्वामिहि सर्व भाव छल त्यागी।
हिंदी अर्थ: सूरज का सेवन पीठ से और आग का सेवन छाती से करना चाहिए परन्तु स्वामी की सेवा छल कपट छोड़कर पुरे मन से करनी चाहिए।
उमा संत कइ इहइ बड़ाई, मंद करत जो करइ भलाई।
हिंदी अर्थ: संत की महानता ये है की वो बुरे करने वाले के साथ भी भलाई करते है।
साधु अवग्या तुरत भवानी, कर कल्यान अखिल कै हानी।
हिंदी अर्थ: साधू-संतो का अपमान तुरंत सभी तरह की भलाई का नाश कर देता है।
कादर मन कहुॅ एक अधारा, दैव दैव आलसी पुकारा।
ईश्वर का क्या भरोसा, देवता तो कायर मन का आधार है।
हिंदी अर्थ: आलसी लोग ही भगवान-भगवान पुकारा करते है, वे खुद कोई मेहनत नहीं करते।
सठ सन विनय कुटिल सन प्रीती, सहज कृपन सन सुंदर नीती।
हिंदी अर्थ: मूर्ख से नम्रता, दुष्ट से प्रेम और कंजूस से उदारता के बारे में सोचना ही व्यर्थ है।
ममता रत सन ग्यान कहानी, अति लोभी सन विरति बखानी।
क्रोधिहि सभ कर मिहि हरि कथा, उसर बीज बए फल जथा।
हिंदी अर्थ: मोह माया में फॅसे ब्यक्ति से ज्ञान की कहानी अधिक लोभी से वैराग्य का वर्णन क्रोधी से शान्ति की बातें और कामुक से ईश्वर की बात कहने का वैसा हीं फल होता है जैसा उसर खेत में बीज बोने से होता है।
काटेहिं पइ कदरी फरइ, कोटि जतन कोउ सींच।
बिनय न मान खगेस, सुनु डाटेहिं पइ नव नीच।
हिंदी अर्थ: करोड़ों उपाय करने पर भी केला काटने पर ही फलता है। नीच आदमी विनती करने से नहीं मानता है। वह डांटने पर ही झुकता है और रास्ते पर आ जाता है।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचरहिं ते नर न घनेरे।
हिंदी अर्थ: दूसरों को शिक्षा देने में सभी लोग बहुत अच्छे होते है। पर उस शिक्षा का पालन खुद नहीं करते।
संसार महॅ त्रिविध पुरूश पाटल रसाल पनस समा।
एक सुमन प्रद एक सुमन फल एक फलइ केवल लागहिं।
हिंदी अर्थ: संसार में तीन प्रकार के लोग होते है – गुलाब, आम और कटहल की तरह। एक फूल देता है-एक फूल और फल दोनों देता है और एक केवल फल देता है। लोगों मे एक केवल कहते हैं-करते नहीं। दूसरे जो कहते हैं वे करते भी हैं और तीसरे कहते नही केवल करते हैं।
नयन दोस जा कहॅ जब होइ्र्र, पीत बरन ससि कहुॅ कह सोई।
जब जेहि दिसि भ्रम होइ खगेसा, सो कह पच्छिम उपउ दिनेसा।
हिंदी अर्थ: जब किसी की आखो में खराबी होती है तो उसे चन्द्रमा पीले रंग का दीखता है। जब पक्षी का राजा दिशा भूल जाता है तो उसे सूरज पश्चिम से उदय होता दिखाई पड़ता है।
नौका रूढ़ चलत जग देखा, अचल मोहबस आपुहिं लेखा।
बालक भ्रमहिं न भ्रमहिं गृहादी, कहहिं परस्पर मिथ्यावादी।
हिंदी अर्थ: नाव पर बैठा हुआ इंसान दुनिया को चलता दिखाई पड़ता है पर वह खुदको स्थिर समझता है। बच्चे गोल-गोल घूमते है पर घर नहीं घूमते। पर वो आपस में एक दूसरे को झूठा कहते है।
एक पिता के बिपुल कुमारा, होहिं पृथक गुन सील अचारा।
कोउ पंडित कोउ तापस ग्याता, कोउ घनवंत सूर कोउ दाता।
हिंदी अर्थ: अगर किसी पिता के अनेक पुत्र हो तो पिता के अलग-अलग गुण सभी पुत्रो में होते है। कोई पंडित कोई तपस्वी कोई ज्ञानी कोई धनी कोई बीर और कोई दानी होता है।
कोउ सर्वग्य धर्मरत कोई, सब पर पितहिं प्रीति समहोई।
कोउ पितु भगत बचन मन कर्मा, सपनेहुॅ जान न दूसर धर्मा।
हिंदी अर्थ: कोई सब जानने बाला धर्मपरायण होता है।पिता सब पर समान प्रेम करते हैं। पर कोई संतान मन वचन कर्म से पिता का भक्त होता है और सपने में भी वह अपना धर्म नहीं त्यागता।
सो सुत प्रिय पितु प्रान समाना, जद्यपि सो सब भाॅति अपाना।
एहि बिधि जीव चराचर जेते, त्रिजग देव नर असुर समेते।
हिंदी अर्थ: एक पुत्र पिता को बहुत प्यारा होता है, भले ही वो सभी तरह से मुर्ख क्यों न हो।
जानें बिनु न होइ परतीती, बिनु परतीति होइ नहि प्रीती।
प्रीति बिना नहि भगति दृढ़ाई, जिमि खगपति जल कै चिकनाई।
हिंदी अर्थ: किसी की प्रभुता जाने बिना हमें उसपर विश्वास नहो होता, और विश्वास की कमी से प्रेम नहीं होता। प्रेम के बगैर भक्ति दृढ़ नहीं बन सकती जैसे पानी की चिकनाई नहीं ठहरती।
सोहमस्मि इति बृति अखंडा, दीप सिखा सोइ परम प्रचंडा।
आतम अनुभव सुख सुप्रकासा, तब भव मूल भेद भ्रमनासा।
हिंदी अर्थ: मैं ब्रम्ह हूँ – यह अनन्य स्वभाव की प्रचंड लौ है। जब अपने नीजि अनुभव के सुख का सुन्दर प्रकाश फैलता है तब संसार के समस्त भेदरूपी भ्रम का अन्त हो जाता है।
कहत कठिन समुझत कठिन साधत कठिन विवेक।
होइ घुनाच्छर न्याय जौं पुनि प्रत्युह अनेक।
हिंदी अर्थ: तुलसीदास कहते है की सच्चा ज्ञान कहने और समझने में बड़ा ही मुश्किल है और उसे साधना उससे भी ज़्यादा कठोर है। यदि सच्चा ज्ञान का बोध हो भी जाए तो उसे बचाकर रखने में अनेको बाधाएं है।
ग्यान पंथ कृपान कै धारा, परत खगेस होइ नहिं बारा।
जो निर्विघ्न पंथ निर्बहई, सो कैवल्य परम पद लहईं।
हिंदी अर्थ: तुलसी जी कहते है की ज्ञान का रास्ता दुधारी तलवार के जैसा है, इस रास्ते पर भटकते देर नहीं लगती। जो इंसान बिना बढ़ा के इसे पार कर लेता है वो मोक्ष और परम पद को प्राप्त कर लेता है।
नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं, संत मिलन सम सुख जग नाहीं।
पर उपकार वचन मन काया, संत सहज सुभाऊ खगराया।
अर्थात: संसार में दरिद्रता के समान दुख एवं संतों के साथ मिलन समान सुख नहीं है। मन बचन और शरीर से दूसरों का उपकार करना यह संत का सहज स्वभाव है।
मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला।
काम वाट कफ लोभ अपारा क्रोध पित्त नित छाती जारा।।
अर्थात: अज्ञानी सभी मुसीबतो का मूल है, इससे कई प्रकार के कष्ट होते है। काम वात और लोभ बढ़ा हुआ कफ है। क्रोध पित्त है जो हमेशा हृदय जलाता रहता है।
तो ये थे तुलसीदास जे के दोहे (Tulsidas Ke Dohe) इनके के हर एक दोहे में गहरा संदेश और मर्म छुपा है। हमें आशा है यह दोहे आपको बहुत पसंद आएंगे और आप इनसे प्रेरणा लेकर इन्हे अपने जीवन में उतारेंगे।
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