दुनिया के सात अजूबे – 7 Wonders Of The World Name In Hindi

आपने सभी ने Duniya Ke Saat Ajoobe के बारे में तो सुना ही होगा। विश्व में अधिकतर लोगों का सपना होता है दुनिया के सात

Editorial Team

Duniya Ke Saat Ajoobe

आपने सभी ने Duniya Ke Saat Ajoobe के बारे में तो सुना ही होगा। विश्व में अधिकतर लोगों का सपना होता है दुनिया के सात अजूबो की यात्रा करना, आपका भी होगा। हालाँकि बहुत कम ही लोग इन सातों अजूबों की यात्रा कर पाते है। हमारे देश भारत के लिए ये गर्व की बात है कि दुनिया के सात अजूबे (7 Wonders Of The World Name In Hindi) में से एक अजूबा- ‘ताज महल’ हमारे भारत देश में मौजूद है।

UNESCO द्वारा इन सात अजूबों को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जाना जाता है। 7 Ajuba की ख़ास बात ये है कि यह दिखने में जितने शानदार होते हैं, उससे अधिक यह आश्चर्यजनक होते है। यह हमें सोचने पर मजबूर कर देते है कि उस दौर में जब विकसित सुविधाएँ नहीं थी, तब कैसे प्राचीनकाल के लोगों ने इतनी बेहतरीन और मजबूत स्मारक बनाई होंगी।

इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको बताने वाली हूँ इन अजूबों की कुछ ऐसी ख़ास बातें, जो इन्हें सबसे अनोखा बनाती है, और लाखों लोगों का सपना क्यों होता है इन अजूबों को देखने का। इस आर्टिकल में विश्व के नए सात अजूबों से जुड़े कई रोचक तथ्यों के बारे में बताया गया है जिनसे बहुत से लोग अनजान है। साथ ही किस आधार पर चुने जाते हैं विश्व के सात अजूबे ये भी यहां बताया गया है।

मुझे उम्मीद है इस पोस्ट को पढ़ने में आपको बहुत आनंद आने वाला है, तो चलिए शुरू करते है दुनिया के सात अजूबो के रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी हासिल करना।

Duniya Ke Saat Ajoobe

दुनिया के सात अजूबे (7 Wonders Of The World Name In Hindi)

7 Wonders Of The World Name की सूची कुछ इस प्रकार है-

  1. ताज महल (Taj Mahal)
  2. चीन की महान दीवार (The Great Wall of China)
  3. कोलोजियम (Colosseum)
  4. क्राइस्ट रीड्रीमर (Christ Redeemer)
  5. चिचेन इत्ज़ा (Chichen Itza)
  6. माचू पिच्चू (Machu Picchu)
  7. पेट्रा (Petra)

तो ये थी 7 Ajuba Name List, इससे आपको सात अजूबों (7 Wonders World Duniya Ke 7 Ajuba Name) का ज्ञान हो गया होगा। अब नीचे मैंने दुनिया के सात अजूबे के नाम और फोटो के साथ उनसे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में विस्तार से बताया है।

1. ताज महल (Taj Mahal) – आगरा, भारत

ताज महल को दुनियाभर में ‘प्यार के प्रतिक’ के रूप में जाना जाता है। इसको मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इसको बनाने में शाहजहाँ को 32 मिलियन रूपये की कीमत चुकानी पड़ी थी। तब जाकर ये अद्भूत प्यार का प्रतिक ‘ताज महल’ तैयार हुआ था। इस अजूबे को बनने में 20 वर्षों से भी अधिक का समय लगा था। इसका निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में ये बनकर तैयार हुआ था। ताज महल में मौजूद मकबरे में 99 भाषाओं में अल्लाह के नाम Calligraphic Inscriptions के रूप में लिखे गये है।

Taj Mahal (Agra)

Taj Mahal की वास्तु-कला पूर्व मुगल डिज़ाइन को दर्शाती है जो कि भारतीय, पर्शियन और इस्लामिक ट्रेडिशनल डिज़ाइन से प्रेरित है। ताज महल के निर्माण के लिए विभिन्न प्रदेशों तथा देशों से मार्बल मंगवाए गये थे। जिसमें सफ़ेद संगमरमर राजस्थान के मकराना क्षेत्र से, सूर्यकांत मणि पंजाब से, जेड और क्रिस्टल चीन से, फिरोजा तिब्बत से, लापीस लजुली अफगानिस्तान से और कार्नेलिया अरब से मंगवाए गये थे।

ताज महल की योजना बनाते वक़्त बहुत सी महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया था। उनमें से एक है ताज महल के चारों पिलर, जिनका निर्माण इस प्रकार से किया गया, जिससे भूकंप की स्थिति में ताज महल के मुख्य गुंबद को कोई नुकसान न पहुँचे। इसके चारों पिलर बहार की तरफ झुके हुए बनाये गये हैं।

Taj Mahal का निर्माण सबसे पहले मध्य प्रदेश के बुरहानपुर क्षेत्र में किया जाना था, जहाँ मुमताज़ के बच्चे को जन्म देते समय मृत्यु हुई थी। परन्तु बुरहानपुर पर्याप्त मात्रा में सफ़ेद संगमरमर की आपूर्ति नहीं कर सका, जिसके कारण ताज महल को आगरा में बनाने का निर्णय लिया गया।

ताज महल से जुड़ी एक प्रसिद्द कहानी- ‘ताज महल के निर्माण के बाद इसे बनाने वाले कारीगरों के हाथ काट दिए गये थे, ताकि इसके जैसी और स्मारक न बनाई जा सके’, सिर्फ एक अफवाह है। क्योंकि ताज महल की आर्किटेक्ट टीम के सुपरवाइजर ‘उस्ताद अहमद लाहौरी’ ने ही लाल किले की नींव रखी थी।

ताज महल का रंग समय और रौशनी की मात्रा के अनुसार बदलता है। यानी सुबह के समय ताज महल गुलाबी रंग का, शाम को दूध सा सफ़ेद और चाँद की रौशनी में सुनहरा रंग का दिखता है। वायु प्रदुषण के कारण ताज महल के सफ़ेद संगमरमर का रंग पीला होता जा रहा है। इस कल्चरल हेरिटेज को संरक्षित रखने के लिए ताज महल के आसपास सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों का ही प्रयोग किया जाता है, साथ ही इसे नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है। वर्ष 1963 में UNESCO द्वारा ताज महल को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया।

World War 2 के दौरान ताज महल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archeological Survey of India or ASI) द्वारा छुपाया गया था। इसके लिए विशाल मचान का प्रयोग कर ताज महल को ढंका गया था, जिससे यह बांस के भंडार जैसा प्रतीत होता था। भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के दौरान भी ताज महल को ऐसे ही संरक्षित किया गया था।

2. चीन की महान दीवार (The Great Wall of China) – चाइना

The Great Wall Of China जिसे हिंदी में ‘चीन की महान दीवार’ के नाम से जाना जाता है, विश्व की सबसे लंबी और सबसे बड़ी प्राचीन वास्तुकला है। यह पूर्वी चीन से पश्चिम चीन तक फैली हुई है। इसकी लम्बाई करीब 6400 किलोमीटर है और ऊंचाई 35 फीट है। इसकी चौड़ाई का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें तकरीबन 10-15 लोग एक साथ चल सकते है। यह दीवार लम्बाई में इतनी विशाल है कि ये अन्तरिक्ष से भी दिखाई देती है। दिसंबर 1987 में Great Wall Of China को UNESCO ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया।

Great Wall of China

चीन की ये महान दीवार 2300 सालों से भी अधिक पुरानी है। इसका निर्माण कार्य 5वीं शताब्दी में आरंभ हुआ और 16वी शतब्दी आने के बाद इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ। चीन के विभिन्न राज्यों के शासकों द्वारा बनाये गये मार्गों को जोड़कर चाइना की महान दीवार का निर्माण हुआ है। उत्तरी हमलावरों से बचाव के उद्देश्य से इसका निर्माण हुआ। इस दीवार के गुबिकौ भाग (Gubeikou Section) में गोलियों के निशान है जो इस दीवार पर लड़े गये आखरी युद्ध के प्रमाण हैं।

ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना एक निरंतर रेखा नहीं है, इसमें ऐसे भाग भी मौजूद है जिनमें दीवार ही नहीं है। इस दीवार को बनाने वाले मजदूरों में सैनिक, अपराधी, जबरन भर्ती किये गये किसान और युद्ध के कैदी भी शामिल थे। ये दीवार कई भागों में बंटी हुई है। इस दीवार का लगभग एक तिहाई भाग गायब हो चूका है, वो भी बिना किसी निशान के। विशेषज्ञों के अनुसार, इस महान दीवार के उत्तर-पश्चिमी भाग जैसे- गांसु, निंग्जिया प्रांत, आदि मरुस्थलन (Desertification) और भूमि उपयोग में बदलाव के कारण आने वाले 20 सालों में गायब हो सकते है।

3. कोलोजियम (The Rome Colosseum) – इटली, रोम

Colosseum इटली में स्थित एक अंडाकार (Oval-Shaped) स्टेडियम है। इसका निर्माण सम्राट ‘वेस्पासियन’ ने करवाया था। इसको बनाने की शुरुआत 72 ईस्वी में हुई थी और यह विशाल अखाड़ा बनकर 80 ईसवीं में तैयार हुआ था। इसको बनाने में पत्थर और कंक्रीट का प्रयोग किया गया था। ऐसा माना जाता है कि, हजारों यहूदी दासों से इसका निर्माण करवाया गया था। कोलोजियम विश्व का सबसे बड़ा एम्फीथिएटर है। इसकी लम्बाई 189 मीटर, चौड़ाई 156 मीटर और ऊंचाई 50 मीटर है। इसमें 50,000 दर्शकों के बैठने का इंतजाम है।

The Roman Colosseum

पहले के समय में यहाँ विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं, जैसे तलवारबाज़ी, शिकार की प्रतियोगिता, आदि हुआ करती थी। इसमें स्पेशल इफेक्ट्स के लिए 36 ट्रैप डोर्स थे, जंगली जानवरों और तलवारबाजों के लिए अंडरग्राउंड मार्ग और कमरे भी थे। ऐसा अनुमान है कि, इन प्रतियोगिताओं की वजह से 10 लाख से भी अधिक जंगली जानवरों और 4 लाख तलवारबाजों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। 435 ईस्वी में कोलोजियम में आखरी ग्लैडिएटर (तलवारबाज़ी) प्रतियोगिता हुई थी। 532 C.E. में आखरी जंगली जानवरों के शिकार की प्रतियोगिता हुई थी। प्राकृतिक आपदाओं और बर्बरता के कारण कोलोजियम का दो-तिहाई भाग नष्ट हो गया था।

4. क्राइस्ट रीड्रीमर (Christ the RedeemerStatue ) – रिओ द जनेरिओ

Christ Redeemer ब्राज़ील के रिओ द जनेरिओ के पहाड़ पर स्थित एक विशाल जीसस की स्मारक है। इसको बनाने के लिए प्रबलित कंक्रीट (Reinforced Concrete) का प्रयोग किया गया था। इसका बाहरी कवच 6 मिलियन सोपस्टोन यानी साबुन बनाने वाले पत्थर से बना है। इस स्टेचू (प्रतिमा) को बनाने में 9 साल लगे थे। 1922 में Christ Redeemer को बनाने की शुरुआत हुई थी और 1931 में बनकर ये तैयार हुई थी। इसको बनाने में करीब $250,000 का खर्च आया था।

Christ the Redeemer Statue

ये दुनिया में जीसस के सबसे बड़े स्टेचू में से एक है और इसे ‘Tallest Art Deco Statue’ का खिताब प्राप्त है। इसकी लम्बाई 30 मीटर है और इसके हाथो का फैलाव 28 मीटर तक है। ऐसा माना जाता है की इसकी टाइल्स बनाते वक़्त मजदूर इस पर कभी-कभी नोट्स भी लिखा करते थे। इसलिए यह स्मारक बहुत सारे छिपे हुए संदेशों से भरी हुई है। ये स्मारक जिस जगह पर खड़ी है वहाँ साल में कम से कम 3 से 6 बार बिजली के झटकों का शिकार होती है। साल 2014 में फीफा वर्ल्ड कप से पूर्व इस पर बिजली गिरने के कारण इसका अंगूठा टूट गया था।

इस प्रतिमा का मूल डिज़ाइन उस प्रतिमा से अलग है जो हम आज देखते हैं। इसका डिज़ाइन कुछ इस प्रकार बनाने की योजना थी कि, प्रतिमा के एक हाथ में ग्लोब और दूसरे हाथ में क्रॉस होना था। न कि दोनों हाथ खुले होने थे। क्राइस्ट द रिडीमर की यह प्रतिमा फ्रांस में एक फ्रेंच मूर्तिकार पॉल लंदोव्सकी के द्वारा मिट्टी के टुकड़ों के रूप में बनाई गयी थी। उसके बाद उसे ब्राज़ील भेजा गया और तब ब्राज़ील के इंजिनियर हेल्टर द सिल्वा कोस्टा और फ्रेंच इंजिनियर अल्बर्ट कक़ुओत के द्वारा प्रबलित कंक्रीट से इसे पुनर्निर्मित किया गया था।

5. चिचेन इत्ज़ा (Chichen Itza) – मैक्सिको

चिचेन इत्ज़ा (Chichen Itza) मेक्सिको के युकाटन में स्थित एक पुरातत्व स्थल है। यह एक प्राचीन मयान शहर है और मयान शहरों के सबसे बड़े शहरों में से एक है। चिचेन इट्जा के मयान मंदिर की ऊंचाई तकरीबन 79 फीट और इसका दायरा 5 किलोमीटर है। यह चारों ओर से 91 सीढ़ियों से घिरा हुआ है। इसमें कुल सीढियाँ 365 हैं जो की साल के 365 दिनों को दर्शाती है। इसकी खोज पुरातत्वविदों द्वारा साल 1800 में की गयी थी। चिचेन इट्ज़ा को UNESCO ने साल 1988 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया था।

Chichen Itza

‘Chichen Itza’ नाम का अर्थ है ‘इतजा के कुएं का मूँह’। ऐसा माना जाता है कि ‘Itza’ शब्द का अर्थ होता है ‘पानी के जादूगर’। चिचेन इट्ज़ा को मयान वासियों द्वारा 250 ईसवीं से 900 ईसवीं में बनाया गया था। इसको बनाने में चुना पत्थर का प्रयोग किया जाता था। इसकी संरचनाओं की योजना कुछ इस प्रकार बनाई जाती थी कि, इसके निचले आधे हिस्से पर योजना की सतह होती थी और ऊपर के बचे आधे हिस्से में देवताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए जटिल नक्काशी की जाती थी। चिचेन इट्ज़ा अपने जटिल डिज़ाइन और समृद्ध इतिहास के कारण प्रसिद्ध है।

इस पर सबसे पहले रेड हाउस, चर्च, नन्नेरी और एल काराकोल संरचनाएं पायी गयी थी। चिचेन इट्ज़ा साइट पर मानव अवशेष पाए गये थे, जिसके बाद ऐसा माना जाता है कि यहाँ देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि भी दी जाती थी। चिचेन इट्ज़ा में The Great Ball Court को सेंट्रल अमेरिका में सबसे बड़े और प्राचीन खेल के मैदान के तौर पर जाना जाता है।

चिचेन इट्ज़ा पर सबसे प्रसिद्ध संरचना है कास्तिल्लो पिरामिड, जिसे ‘एल कास्तिल्लो’ के नाम से भी जाना जाता है। एल कास्तिल्लो की एक अनोखी बात यह है कि, साल में दो बार ये संरचना धूप और छाव की मदद से एक मोटे साँप की आकृति बनाती है। ऐसा माना जाता है कि एल कास्तिल्लो एक मोटे साँप ‘कुकुल्कन’ को समर्पित है। उसका सम्मान करने के लिए ही ये साल में 2 बार साँप की आकृति बनाती है। इसे कुकुल्कन टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि कुकुल्कन टेम्पल में ताली बजाने पर सर्प ध्वनि सुनाई देती है।

6. माचू पिच्चू (Machu Picchu) – पेरू

माचू पिच्चू दक्षिण अमेरिका के पेरू देश में स्थित एक सुप्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इंका सभ्यता के द्वारा 1450 ईसवीं में इसका निर्माण किया गया था। माचू पिच्चू दरअसल एक शहर था, जो कि एक पर्वत पर मौजूद है। इसकी ऊंचाई समुद्र सतह से तकरीबन 2430 मीटर है। यह आश्चर्यजनक बात है कि इतनी ऊंचाई पर लोग बिना सुविधाओं के कैसे रहते थे।

Machu Picchu

माचू पिच्चु का असली नाम ‘हुयना पिच्चु’ है। हुयना पिच्चु का मतलब है ‘युवा पर्वत’। ऐसा माना जाता है कि जब अमेरिकन एक्स्प्लोरर हिरम बिंघम को 1911 में इसके बारे में पता चला था, तब उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से इसके बारे में पूछा था। जिसने अपनी क्षेत्रीय भाषा में इस पर्वत को संबोधित करते वक़्त ‘माचू पिच्चु’ शब्द का प्रयोग किया था। माचू पिच्चु का मतलब है पुराना पर्वत या पुराना शिखर/चोटी। तब से इसे माचू पिच्चु के नाम से जाना जाता है।

माचू पिच्चु एक ‘नो फ्लाई’ ज़ोन है। फ्लाइट्स की आवा-जाहि से माचू पिच्चु के पत्थर पर ख़राब असर पड़ता था और उन्हें ठीक भी नहीं किया जा सकता था, इसलिए माचू पिच्चु के संरक्षण हेतु इसे नो फ्लाई जोन घोषित किया गया। माचू पिच्चु पर्वत पर साउथ अमेरिका के इकलौते भालू की प्रजाति पायी जाती है। माचू पिच्चु पर Spectacled Bear यानी चश्मे वाले भालू पाए जाते हैं।

7. पेट्रा (Petra) – जॉर्डन

पेट्रा जॉर्डन में स्थित प्राचीनकाल का एक शहर है। ऐसा माना जाना है कि पेट्रा शहर की स्थापना 312 ईसा पूर्व हुई थी, जो कि इसे विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक बनाती है। पेट्रा के पत्थरों का रंग गुलाबी है, इसलिए इसे रोज सिटी (Rose City) के नाम से भी जाना जाता है। UNESCO द्वारा पेट्रा का वर्णन कुछ इस प्रकार है- यह मनुष्य की सांस्कृतिक विरासतों की सबसे कीमती सांस्कृतिक गुणों (Cultural Properties) में से एक है। पुरातत्वविदों द्वारा अब तक सिर्फ 15% ही पेट्रा शहर को खोजा (Explore) गया है। अभी पेट्रा के बारे में बहुत कुछ खोजना बाकी है।

Petra
Petra

इस शहर का नाम ‘Petra’ ग्रीक भाषा के शब्द ‘Petros’ से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘चट्टान’। पेट्रा में 800 शाही मकबरे हैं, इन्हें ‘Royal Tombs’ के नाम से जाना जाता है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध मकबरा ‘द ट्रेज़री’ (The Treasury) है। विशेषज्ञों के अनुसार ट्रेज़री 2000 साल से भी अधिक पुराना है। साल 1812 में पेट्रा शहर की खोज एक स्विस एक्स्प्लोरर ‘जोहान्न लुडविग बरखार्ट (Johann Ludwig Burckhardt) द्वारा की गयी थी। क्योंकि 500 सालों से इसकी मौजूदगी से लोग अनजान थे। इसलिए इसे लॉस्ट सिटी (Lost City) के नाम से भी जाना जाता है।

पेट्रा के बारे में एक अनोखी बात यह भी है कि ये शहर सिर्फ आधा ही बना हुआ है, बाकी का आधा चट्टानों में नक्काशी करके बना है। इस स्थल पर हॉलीवुड की मशहूर मूवीज भी शूट की गयी है। जिनके नाम है- ‘The Mummy Returns, Indiana Jones and the Last Crusade’ आदि। पेट्रा को कई भीषण भूकम्पों का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते एक बार 363 ईसा बाद पेट्रा के कई संरचनाओं को भारी नुकसान हुआ था। इससे उसकी जल प्रणाली को बुरी तरह से क्षति पहुंची थी।

मुझे उम्मीद है अब आप दुनिया के सात अजूबों से सम्बंधित रोचक तथ्यों के बारे में जान गये होंगे। अब मैं दुनिया के पुराने 7 अजूबों के बारे में आपको बताने वाली हूँ।

दुनिया के पुराने 7 अजूबे

दुनिया के प्राचीन 7 Ajuba Ke Naam की सूची लगभग 200 ईसा पूर्व पुरानी है। दुनिया के सामने सात अजूबों (7 Ajuba In World) को लाने का निर्णय और योजना हेरोडोटस और कल्लिमचुस द्वारा बनाई गयी थी। दुनिया के पुराने सात अजूबे या दुनिया के सबसे पहले चुने गये सात अजूबों की सूची निम्नलिखित है-

  1. ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गीज़ा (Great Pyramid of Giza)
  2. हैंगिंग गार्डन्स ऑफ बेबीलोन (Hanging Gardens of Babylon)
  3. स्टेचू ऑफ ज़ीउस ऐट ओलम्पिया (Statue of Zeus at Olympia)
  4. टेम्पल ऑफ आर्टिमिस ऐट इफिसुस (Temple of Artemis at Ephesus)
  5. मौसिलयूम ऐट हलिकार्नास्सुस (Mausoleum at Halicarnassus)
  6. कॉलॉसस ऑफ रोड्स (Colossus of Rhodes)
  7. लाइटहाउस ऑफ अलेक्जेंड्रिया (Lighthouse of Alexandria)

आज के समय में प्राचीन विश्व के सात अजूबों में से सिर्फ एक- Great Pyramid of Giza मौजूद है। इसे एक विशेष स्थान दिया गया है। इसके अलावा बाकी सारे प्राचीन अजूबे अब नष्ट हो चुके है।

नए अजूबों की लिस्ट का प्लान

साल 1999 में दुनिया के नए सात अजूबों को दुनिया के सामने लाने की चर्चा शुरू हुई। जिसके तहत स्विट्ज़रलैंड के शहर ‘ज्यूरिक’ में ‘न्यू 7 वंडर फाउंडेशन’ का गठन किया गया। इसके द्वारा कनाडा देश में एक ऐसी वेबसाइट बनवाई गयी, जिसमें विश्व की 200 कलाकृतियों की सूची और उनके बारे में जानकारी दी गयी थी। इसी साइट के माध्यम से लोगों से 200 कलाकृतियों में से सिर्फ 7 अजूबों को चुनने के लिए वोट करवाए गये। वोट करने के लिए फोन और इंटरनेट की सहायता ली गयी।

यह वोटिंग 2007 तक चली थी, इसका नतीजा 7 जुलाई 2007 में सबके सामने आया था। फाउंडेशन के अनुसार लगभग 10 करोड़ लोगों ने इस प्रोजेक्ट के लिए वोट किया था। जिसके नतीजे के आधार पर दुनिया को अपने नए 7 Ajuba Ke Naam (Seven Wonders Name) मिले। वो क्षण भारत के लिए भी गर्व का था, क्योंकि दुनियाभर की 200 कलाकृतियों में से एक भारत का अपना अजूबा ‘ताज महल’ था।

Conclusion

आज के इस पोस्ट के माध्यम से मैंने आपको Duniya Ke 7 Ajube से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानकरी दी है। इसमें मैंने नए-पुराने दुनिया के सात अजूबे कौन से हैं (7 Wonders Of The World Names In Hindi), उनसे सम्बंधित किस्से, कहानियां, तथा तथ्य आपको बताएं है। साथ ही विश्वस्तर पर किसके द्वारा और कैसे दुनिया के 7 अजूबे का चुनाव होता है ये भी मैंने आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताया। मुझे उम्मीद है आपको मेरी यह पोस्ट पढ़ने में उपयोगी लगी होगी।

यदि इस पोस्ट को पढ़कर आपका भी मन Vishva Ke Saat Ajoobe देखने का कर रहा है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों, परिवारवालों के साथ ज़रूर शेयर करें। ख़ास तौर पर उनसे शेयर करें जिनके साथ आप विश्व के सात अजूबों (7 Ajoobe Of World) की यात्रा करना चाहते हैं।

अंत में, इस पोस्ट से जुड़ी प्रतिक्रियाएं आप मेरे साथ कमेंट सेक्शन में Comment करके साझा कर सकते है। यदि आप इस पोस्ट से जुड़े कुछ सुझाव या सुधार मुझे देना चाहते है तो वो भी आप मुझे नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।

FAQs

  • दुनिया में सिर्फ सात अजूबे क्यों है?

विश्व में अजूबे तो बहुत सारे है, परन्तु दुनिया के अजूबों के लिए सिर्फ 7 का चयन इसलिए किया गया क्योंकि ग्रीक लोगों का मानना था कि, नंबर ‘7’ पूर्णता और समृद्धि को दर्शाता है। साथ ही, प्राचीन काल में कुल ग्रह भी 7 थे इसलिए भी 7 नंबर का चयन किया गया।

  • दुनिया का पहला अजूबा कौनसा है?

संसार का सबसे पुराना अजूबा ग्रेट पिरामिड ऑफ़ ग़िज़ा (मिस्त्र) है, जो आज भी मौजूद है। प्राचीनकाल के बाकी 6 अजूबे नष्ट हो चुके हैं।

  • नए 7 अजूबों को चुनने के लिए किस फाउंडेशन का गठन किया गया था?

सात नए अजूबों का चुनाव करने के लिए स्विट्ज़रलैंड में ‘न्यू 7 वंडर्स फाउंडेशन’ बनाया गया था।

आपको हमारा यह लेख कैसा लगा ?

Average rating 4.7 / 5. Vote count: 99

अब तक कोई रेटिंग नहीं! इस लेख को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

Editorial Team

एडिटोरियल टीम, हिंदी सहायता में कुछ व्यक्तियों का एक समूह है, जो विभिन्न विषयो पर लेख लिखते हैं। भारत के लाखों उपयोगकर्ताओं द्वारा भरोसा किया गया। Email के द्वारा संपर्क करें - contact@hindisahayta.in

Tags

Related

Leave a Comment