वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा, सर्वनाम आदि का क्रिया से संबंध बताने वाले शब्द-रूपों को कारक कहते है। आसान शब्दों में कहे तो, संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध अन्य शब्दों से जाना जाता है, उसे कारक कहते है। कारक हिंदी व्याकरण का एक मुख्य टॉपिक होता है जो बाकियो के मुक़ाबले थोड़ा सा जटिल होता है। इसलिए आज के इस लेख में हम कारक किसे कहते हैं (Karak in Hindi), कारक का उदहारण (Karak In Hindi With Examples), और कारक के कितने भेद होते हैं आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Table of Contents
कारक क्या है?
संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ उनके सम्बन्ध के अनुसार रूप बदलना ही कारक कहलाता है। हिंदी व्याकरण में कारक के आठ भेद होते हैं- कर्ता कारक, कर्म कारक, करण कारक, सम्प्रदान कारक, अपादान कारक, सम्बन्ध कारक, अधिकरण कारक और सम्बोधन कारक आदि। कारक को व्यक्त करने के लिए कुछ चिन्हों (ने, को, से, के लिए, में, पर) का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हे विभक्ति या परसर्ग कहते हैं।
कारक के उदाहरण (Examples Of Karak In Hindi) –
1. अनन्या ने खाना बनाया।
2. दोनों ने स्वादिष्ट खाना चम्मच से खाया।
3. अनन्या कुशाग्र के लिए ठंडी-ठंडी रसमलाई लाई।
4. अनन्या ने कहा, अरे सोनाली! इसे देखकर हैरान क्यों हो?
इन वाक्यों में आप देख सकते है कि शब्दों के साथ ‘ने‘, ‘से‘ (के द्वारा), ‘के लिए, ‘अरे‘ आदि कुछ चिह्न लगे है। इन चिह्नों के बिना उपर्युक्त वाक्य नहीं बन सकते। ये सभी चिह्न ‘कारक चिह्न‘, ‘विभक्तियाँ‘ अथवा ‘परसर्ग‘ कहलाते है।
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Karak Ki Paribhasha In Hindi
कारक के भेद – Karak Ke Bhed In Hindi
कारक के निम्नलिखित आठ भेद है। निचे दी गयी कारक की टेबल (Karak Table In Hindi) के साथ कारक के भेद के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गयी है।
कारक | चिह्न | लक्षण |
1. कर्ता कारक | ने | जो क्रिया करे |
2. कर्म कारक | को | जिस पर क्रिया का फल पड़े |
3. करण कारक | से (द्वारा) | जिस साधन से क्रिया हो |
4. संप्रदान कारक | के लिए, को | जिसके लिए क्रिया की जाए |
5. अपादान कारक | से (अलग होने के अर्थ में) | जिससे कोई वस्तु अलग हो |
6. अधिकरण कारक | में, पर | जहाँ क्रिया घटित हो |
7. संबंध कारक | का, के, की | जो दो शब्दों का संबंध जोड़े |
8. संबोधन कारक | हे ! अरे ! | जब किसी को संबोधित किया जाए |
1. कर्ता कारक (Karta Karak)
संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया करने वाले का पता चले, वह कर्ता कारक है। दूसरे शब्दों में, संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से हमे क्रिया के करने का बोध होता है उसे कर्ता कारक कहते है। कर्ता कारक का चिह्न ‘ने‘ होता है। आइये देखते है कर्ता कारक के उदाहरण (Karta Karak Examples In Hindi) –
- मोर नाचता है।
- रीना ने गाना गाया।
ऊपर दिए गए उदाहरण में मोर और रीना कर्ता कारक है, क्यूंकि नाचते और गाने की क्रिया का बोध मोर और रीना से हो रहा है। इसके अलावा, दूसरे वाक्य में ‘ने’ कर्ता कारक का विभक्ति-चिह्न है।
नोट-
(1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग नहीं लगता है। जैसे- वह रोया।
(2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है। जैसे-वह सेब खाता है। वह सेब खाएगा।
(3) कभी-कभी कर्ता के साथ ‘को’ तथा ‘से’ का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे- मीना को सो जाना चाहिए। रेखा से पुस्तक पढ़ी गई।
2. कर्म कारक (Karm Karak)
जिस पर क्रिया का फल पड़े, वह कर्म कारक कहलाता है। दूसरे शब्दों में, क्रिया का फल जिस व्यक्ति या वस्तु पर पड़ता है उसे कर्म कारक कहते है। कर्म कारक का परसर्ग ‘को ‘ है। जैसे-
- सुधीर ने कुत्ते को रोटी खिलाई।
- नीरज कहानी पढ़ रहा है।
ऊपर बताए गए उदाहरण में खाने का फल रोटी और कुत्ते पर पड़ रहा है और पढ़ने का फल ‘कहानी’ पर पड़ रहा है। यहाँ पर रोटी, कुत्ता और कहानी तीनो कर्म कारक है। इसके अलावा, पहले वाक्य में ‘को‘ कर्म कारक का विभक्ति-चिह्न है।
कर्म कारक के अन्य उदाहरण :-
- सुधीर ने कुत्ते को रोटी खिलाई।
- पुष्पा कहानी पढ़ रही है।
- सुग्रीव से बाली को मारा/ललकारा।
- राधा ने सीता को बुलाया।
3. करण कारक (Karan Karak)-
जिस साधन से क्रिया संपन्न की जाती है, वह करण कारक कहलाता है। दूसरे शब्दों में, कर्ता जिस साधन के द्वारा क्रिया करता है, उसे करण कारक कहते है। करण कारक का परसर्ग ‘से‘ (द्वारा) है। जैसे-
- यामिनी ने मोबाइल से अपनी माँ को फोन किया।
- माली ने खुरपी से मिटटी खोदी।
यहाँ फोन ‘मोबाइल से’ किया गया है, तो यहाँ मोबाइल एक साधन हुआ जिससे फोन किया गया है। इसके अलावा, मिट्टी खोदने के लिए यहाँ ‘खुरपी‘ का इस्तेमाल किया गया है, जो की एक साधन है। यह कहा जा सकता है कि, ऊपर बताए गए उदाहरणों में ‘मोबाइल से’ और ‘खुरपी से’ दोनों करण कारक है।
4. संप्रदान कारक (Sampradan Karak)
जिस संज्ञा या सर्वनाम के लिए क्रिया की जाती है, उसे संप्रदान कारक कहते है। दूसरे शब्दों में, जिसके लिए क्रिया की जाती है उसका बोध कराने वाले संज्ञा या सर्वनाम शब्द को संप्रदान कारक कहते है। संप्रदान कारक का परसर्ग ‘के लिए‘ है। कभी-कभी ‘के लिए’ की जगह ‘को ‘ का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
- पंडित जी के लिए कुर्सी लाओ।
- भिखारी के लिए कमीज़ लाओ।
पहले वाक्य में कुर्सी लाने का काम ‘पंडित जी के लिए’ हो रहा है। दूसरे वाक्य में कमीज़ लाने का काम ‘भिखारी के लिए’ हो रहा है। यहाँ ‘पंडित जी के लिए’ तथा ‘भिखारी के लिए’ संप्रदान कारक है।
ध्यान दे- यदि हम यह कहें, भिखारी को कमीज़ दो। तो यह वाक्य भी संप्रदान कारक है। यहाँ कमीज ‘भिखारी के लिए’ है। जहाँ किसी को कुछ देने की बात हो, वहाँ भी संप्रदान कारक होता है।
5. अपादान कारक (Apadaan Karak)
जिस संज्ञा से किसी क्रिया के अलग होने का ज्ञान हो, वह अपादान कारक कहलाता है। दूसरे शब्दों में, संज्ञा के जिस रूप से अलग होने का बोध हो, उसे अपादान कारक कहते है। अपादान कारक का परसर्ग ‘से‘ (अलग होने का भाव) है। जैसे-
- पेड़ से फल गिरते है।
- कुर्सी से लुढ़ककर मैं गिर गया।
इन दोनों वाक्यों में गिरने का काम ‘पेड़ से‘ और ‘कुर्सी से’ हुआ, इसीलिए यह कहा जा सकता है कि, ‘पेड़ से’ और ‘कुर्सी से’ यह दोनों अपादान कारक है।
6. अधिकरण कारक (Adhikaran Karak)
संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का ज्ञान होता है, वह अधिकरण कारक कहलाता है। दूसरे शब्दों में, संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का ज्ञान होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है। अधिकरण कारक का परसर्ग ‘में‘ और ‘पर‘ है। जैसे-
- पेड़ पर पतंग टंगी है।
- रामचरितमानस में राम की कथा है।
पहले उदाहरण में टंगने की क्रिया ‘पेड़ पर‘ हो रही है। दूसरे उदाहरण में रामकथा ‘रामचरितमानस में‘ है। यह कहा जा सकता है कि, ‘पेड़ पर’ और ‘रामचरितमानस में’ अधिकरण कारक है।
अधिकरण कारक के अन्य उदाहरण :-
- भौरा फूल पर बैठा है।
- सेब प्लेट में रखे हैं।
- उमंग कुर्सी पर बैठा है।
- फ्रिज में केक रखा है।
7. संबंध कारक (Sambandh Karak)
संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रूप से एक व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ का दूसरे व्यक्ति, वस्तु या पदार्थ से संबंध होता है, वह संबंध कारक कहलाता है। दूसरे शब्दों में, संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु या पदार्थ का दूसरी वास्तु या पदार्थ से संबंध पता चलता है, उसे संबंध कारक कहते है। संबंध कारक का परसर्ग ‘का‘, ‘के‘, ‘की‘ और ‘रा‘, ‘रे‘, ‘री‘ है। जैसे-
- यह नेहा की पुस्तक है।
- यह सीमा का घर है।
पहले उदाहरण में पुस्तक का संबंध नेहा से है। दूसरे उदाहरण में घर का संबंध सीमा से है, इसीलिए यह कहा जा सकता है कि, ऊपर बताए गए उदाहरणों में ‘नेहा की’ और ‘सीमा का’ संबंध कारक है।
8. संबोधन कारक (Sambodhan Karak)
शब्द के जिस रूप से किसी संज्ञा पद अथवा सर्वनाम पद को संबोधित किया जाए, उसे संबोधन कारक कहते हैं। अन्य शब्दों में, जिन शब्दों का प्रयोग पुकारने, संबोधित करने या ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है, उन्हें संबोधन कारक कहते हैं। संबोधन कारक का परसर्ग ‘हे!’, ‘अरे!’, ‘ओ!’ आदि है।
- हे प्रभु! मुझ पर दया करो।
- अरे लड़के! इधर आ।
इन दोनों उदाहरणों में ‘हे प्रभु!’ तथा ‘अरे लड़के!’ को पुकारा जा रहा है और इसीलिए ये दोनों संबोधन कारक है।
इसी के साथ यहां अब आप जान गए होंगे कि कारक किसे कहते है (Karak Meaning In Hindi) वो भी उदाहरण के साथ (Karak In Hindi Examples)।
कारक शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से स्पष्ट करते है। कारक के भेद या प्रकार (Types Of Karak In Hindi) मुख्य रूप से आठ है जो कि विभक्ति या परसर्ग के साथ इस प्रकार है –
कारक (Karak) –
- कर्ता (ने)
- कर्म (को)
- करण (से)
- संप्रदान (के लिए)
- अपादान (से)
- अधिकरण (में, पर)
- संबंध (का, के, की, रा, रे,री)
- संबोधन (हे!, अरे!)
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कारक की पहचान
- क्रिया से पहले कौन या किसने शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर आए, वही कर्ता कारक है।
- क्रिया से पहले क्या और किसको शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर आए, वही कर्म कारक होता।
- क्रिया से पहले किससे, किसके द्वारा या किनसे लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर आए, वही करण कारक होता है।
- क्रिया से पहले किसको या किसके लिए शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर आए, वह संप्रदान कारक होता है।
- क्रिया के साथ किससे या कहाँ से शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर मिलता है, वह अपादान कारक होता है।
- वाक्य में आए दो संज्ञाओं या सर्वनामों के साथ किसका तथा किसके लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर मिलता है, वह संबंध कारक होता है।
- क्रिया के साथ कहाँ या किसमें लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर मिलता है, उसे अधिकरण कारक कहते है।
- संबोधन कारक का प्रयोग वाक्य के प्रारंभ में होता है। इसके बाद प्रायः संबोधन चिह्न (!) लगाया जाता है।
करण कारक तथा अपादान कारक में अंतर
करण कारक का चिह्न “से” क्रिया के साधन को प्रकट करता है तथा अपादान कारक का चिह्न “से” अलग होने के भाव को प्रकट करता है; जैसे-
- श्रीराम ने रावण को बाण से मारा।
इस वाक्य में मारने की क्रिया बाण से हो रही है अर्थात् बाण (से) साधन रूप है। इसलिए यह करण कारक है।
- नदियाँ पहाड़ों से निकलती है।
- आनंद स्कूल से घर आ रहा है।
दूसरे और तीसरे वाक्य में से चिह्न अलगाव को प्रकट कर रहा है। यहाँ नदियों के पहाड़ों से तथा आनंद के स्कूल से अलग होने का भाव प्रकट हो रहा है। इसलिए पहाड़ों से और स्कूल से अपादान कारक है।
कारक वर्कशीट अभ्यास प्रश्न उत्तर के साथ
1. कारक को प्रकट करने के लिए जो चिह्न प्रयोग किए जाते है, उन्हें क्या कहते है?
क) वचन
ख) लिंग
ग) सर्वनाम
घ) परसर्ग
उत्तर: घ) परसर्ग
2. कर्ता कारक का विभक्ति चिह्न है?
क) ने
ख) को
ग) से
घ) के
उत्तर: क) ने
3. हिंदी में कितने कारक है?
क) आठ
ख) सात
ग) छह
घ) पांच
उत्तर: क) आठ
4. ‘मदारी ने सांप_____ पकड़ा।’ इस वाक्य में उचित कारक-चिह्न होगा-
क) ने
ख) को
ग) में
घ) पर
उत्तर: ख) को
5. कर्म कारक का कारक-चिह्न है-
क) ने
ख) से
ग) को
घ) के
उत्तर: ग) को
Conclusion
आज के लेख में हमने आपको Karak in Hindi कारक के बारे में बताया है। मुझे आशा है कि, कारक को लेकर आपका जितना भी कंफ्यूशन है वो दूर हो गया होगा। हिंदी व्याकरण में कारक किसे कहते हैं (What Is Karak In Hindi) वो यहां हमने आसान भाषा में बताने की पूरी कोशिश की है, उम्मीद है कि दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। अगर आपको हमारा लेख Karak In Hindi Grammar के उपयोग को समझाइये? पसंद आया है तो आप इसे अपने सहपाठी और दोस्तों के साथ ज़रूर Share करें। इसके अलावा, आप अपनी प्रतिक्रिया हमारे साथ कमेंट सेक्शन में लिखकर भेज सकते है।