समास का शाब्दिक अर्थ होता है ‘लघुकरण’ या ‘संक्षिप्तीकरण’। मतलब जब दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से जो नया छोटा और सार्थक शब्द बनता है उस शब्द को हिन्दी में व्याकरण में समास कहते है। कम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट करने के लिए समास का प्रयोग किया जाता है। Samas in Hindi का टॉपिक हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय होता है जो किसी भी स्कूल या प्रतियोगी परीक्षा में अच्छे अंक हासिल के लिए बहुत ही जरुरी है।
Table of Contents
विद्यार्थियों में अक्सर Samas Ke Bhed को लेकर उलझन रहती है। उनकी और आपकी Hindi Samas से सम्बंधित हर उलझन को सुलझाने के लिए आज हम ये आर्टिकल लेकर आये है। इसमें आपको समास और उनके भेदों के बारे में, खासकर जिनमें विद्यार्थियों को ज्यादा कन्फूजन रहती है के बारे में बताया गया है वो भी ‘समास के विभिन्न भेदों में अंतर’ एवं उदारहण सहित।
Samas Kya Hai
समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षिप्तीकरण (Summarization) या लघुकरण। दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने नए सार्थक शब्द को ‘Samas’ कहते है। समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक शब्द (पद) अपने बिच की विभक्ति का लोप कर एक छोटे शब्द का निर्माण करते है जैसे- ‘राजा का पुत्र’ में ‘का’ विभक्ति का लोप करने से एक नया सार्थक शब्द ‘राजपुत्र’ बना, जो कि एक सामासिक या समस्त पद है।
Samas Ke Udaharan –
समास-विग्रह | समास |
महान है जो देव | महादेव |
माता और पिता | माता-पिता |
कंचन के समान वर्ण | कंचनवर्ण |
लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश | लंबोदर |
दिन और रात | दिन-रात |
कनक के समान लता | कनकलता |
Samas Ki Paribhasha
समास की विशेषताएं
- दो पदों के योग (पूर्व पद और उत्तर पद) से Samas बनता है।
- दो पद (शब्द) मिलकर एक नए, संक्षिप्त पद का रूप धारण करते हैं।
- दोनों पदों के बीच में कारकीय-चिन्ह या विभक्ति का लोप हो जाता है।
- पदों की प्रधानता समास के भेद पर निर्भर करती है। कभी दोनों पद प्रधान होते है, कभी दोनों गौण, तो कभी एक पद प्रधान और दूसरा गौण होता है।
- हिंदी में समास होने पर संधि करना आवश्यक नहीं होता, संस्कृत में इसे आवश्यक माना जाता है।
Samas Kya Hota Hai ये जानने के बाद और आगे बढ़ने से पहले समास विग्रह के बारे में जानना आवश्यक है।
क्या आपने इसे पढ़ा: Karak in Hindi – कारक की परिभाषा, भेद और उदाहरण।
Samas Vigrah
दो पदों के मेल से जो पद बनता है उसे समस्तपद कहते है। समस्त पद के दोनों पदों को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहते है। उदहारण- समस्त पद ‘कमलनयन’ का समास विग्रह होगा ‘कमल के समान नयन’।
समास विग्रह के अन्य उदहारण –
समस्तपद | समास-विग्रह |
दोपहर | दो पहरों का समाहार |
डाकगाड़ी | डाक के लिए गाड़ी |
अकाल पीड़ित | अकाल से पीड़ित |
देशवासी | देश का वासी |
जैसा कि अब आप समास और समास विग्रह के बारे में जान चुके होंगे, तो चलिए अब आगे बढ़ते है और जानते है Samas Kitne Prakar Ke Hote Hain (Types of Samas) एक-एक करके विस्तार में उदाहरण सहित।
Samas Ke Bhed
समास 6 प्रकार के होते हैं-
- द्वंद्व समास
- बहुव्रीहि समास
- तत्पुरुष समास
- अव्ययीभाव समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
1. द्वंद्व समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं उसे द्वंद्व समास कहते है। द्वंद्व समास में दोनों पदों का संज्ञा, सर्वनाम या क्रिया होना आवश्यक होता है। इसमें योजक चिन्ह ‘और, अथवा, या, एवं’ होते है। जैसे- ‘भाई और बहन’ का समस्तपद ‘भाई-बहन’, ‘सुख और दुःख’ का समस्तपद ‘सुख-दुःख’, आदि।
द्वंद्व समास के उदाहरण-
समास विग्रह | समास |
गंगा और यमुना | गंगा-यमुना |
पाप और पुण्य | पाप-पुण्य |
दाल और भात | दाल-भात |
धर्माधर्म | धर्म-अधर्म |
माता और पिता | माता-पिता |
लाभ और हानि | लाभ-हानि |
लाभालाभ | लाभ-अलाभ |
पापापाप | पाप-अपाप |
2. बहुव्रीहि समास
जिसमें दोनों पद मिलकर कोई तीसरा अर्थ दे रहे हों वो बहुव्रीहि समास होता है। बहुव्रीहि समास में दोनों पद गौण (अप्रधान) होते हैं।
इसमें दोनों पद अपना अर्थ छोड़कर कोई तीसरा अर्थ धारण कर लेते हैं। जैसे- ‘दशानन’= ‘दस है आनन् (मुख) जिसके अर्थात् रावन’। इसमें पूर्व पद ‘दश’ और उत्तर पद ‘आनान’ ने मिलकर तीसरे पद ‘दशानन’ का अर्थ धारण किया।
Bahuvrihi Samas के अन्य उदहारण-
समास | समास विग्रह |
चतुरानन | चार है आनन जिसके अर्थात् ब्रह्म |
चन्द्रशेखर | चन्द्र है शिखर पर जिसके अर्थात् शिव |
लंबोदर | लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश |
चतुर्भुज | चार है भुजाएं जिसकी अर्थात विष्णु |
तिरंगा | तीन रंग हैं जिसके (भारतीय राष्ट्रध्वज) |
नीलकंठ | नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव |
चारपाई | चार हैं पाए जिसके (पलंग) |
पीतांबर | पीला है अम्बर (वस्त्र) जिसका अर्थात् श्रीकृष्ण |
3. तत्पुरुष समास
Tatpurush Samas में पूर्व पद गौण, या सहायक होता है अथवा उत्तर पद प्रधान होता है। इसमें आमतौर पर पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होने के कारण प्रधान होता है। इसमें दोनों पद कारक चिन्ह से बंधें होते है जिनका समास करते समय लोप कर दिया जाता है। जैसे- ‘राजा का पुत्र’ = ‘राजपुत्र’ में कारक चिन्ह ‘का’ का लोप हो गया है, ‘रोगग्रस्त’- ‘रोग से ग्रस्त’ में कारक चिन्ह ‘से’ का लोप हो गया है।
Tatpurush Samas Ke Udaharan-
समास विग्रह | तत्पुरुष समास |
देश के लिए भक्ति | देशभक्ति |
कुल में श्रेष्ठ | कुलश्रेष्ठ |
तुलसी द्वारा कृत | तुलसीदासकृत |
यश को प्राप्त | यशप्राप्त |
धर्म का ग्रंथ | धर्मग्रंथ |
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Tatpurush Samas Ke Bhed
मुख्य रूप से तत्पुरुष समास 6 प्रकार के होते हैं। नीचे आपको तत्पुरुष समास के भेदों के साथ उनके कारकीय चिन्ह बताये गये हैं-
- कर्म- को
- करण- से (के कारण), के द्वारा
- सम्प्रदान – के लिए
- अपादान- से (अलगाव)
- सम्बन्ध- का, की के
- अधिकरण- में, पर
आइये इन्हें विस्तार से उदहारण सहित समझते हैं-
1. कर्म तत्पुरुष समास
कर्म तत्पुरुष समास में दो पदों के बीच लगे कर्मकारक के चिन्ह का लोप होता है। कर्मकारक का चिन्ह या विभक्ति ‘को’ होता है। उदाहरण- ‘यश को प्राप्त’ के समास ‘यश्प्राप्त’ में कर्मकारक के चिन्ह ‘को’ का लोप है, इसी प्रकार ‘जनप्रिय’=‘जन को प्रिय’, में ‘को’ का लोप कर कर्म तत्पुरुष समास बना है।
अन्य उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
मतदाता | मत को देने वाला |
रथचालक | रथ को चलाने वाला |
स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग को प्राप्त |
गिरहकट | गिरह को काटने वाला |
जेबकतरा | जेब को कतरनेवाला |
शत्रुघ्न | शत्रु को मारने वाला |
2. करण तत्पुरुष समास
जहाँ करण-कारक चिन्ह का लोप होता है उसे करण तत्पुरुष समास कहते हैं। करण तत्पुरुष समास का करण-कारक चिन्ह ‘से, के द्वारा’ होता है। उदाहरण- ‘रसभरा’=‘रस से भरा’, में ‘से’ का लोप है।
अन्य उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
रेखांकित | रेखा से अंकित |
बाढ़पीड़ित | बाढ़ से पीड़ित |
विरहाकुल | विरह से आकुल |
तुलसीकृत | तुलसी द्वारा रचित |
कर्मवीर | कर्म से वीर |
आँखोंदेखी | आँखों से देखी |
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास
संप्रदान तत्पुरुष समास में संप्रदान कारक के चिन्ह (के लिए) का लोप होता है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह ‘के लिए’ होता है। जैसे- ‘रसोईघर’= ‘रसोई के लिए घर’ में ‘के लिए’ चिन्ह हटा कर संप्रदान तत्पुरुष समास बनाया गया है।
अन्य उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
परीक्षा भवन | परीक्षा के लिए भवन |
विधानसभा | विधान के लिए सभा |
गुरुदक्षिणा | गुरु के लिए दक्षिणा |
पुस्तकालय | पुस्तक के लिए आलय |
देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह |
4. अपादान तत्पुरुष समास
इसमें दो पदों के बीच से अपादान कारक के चिन्ह का लोप होता है। अपादान तत्पुरुष समास की विभक्ति या चिन्ह ‘से’ होता है।
*करण तत्पुरुष समास का कारक चिन्ह- ‘से’ किसी कारण की ओर संकेत करता है, जैसे- ‘बाढ़पीड़ित’= ‘बाढ़ से पीड़ित’ में कारण बताया जा रहा है की इंसान किस से पीड़ित है? बाढ़ से पीड़ित है। तो ये करण तत्पुरुष समास है।
अपादान तत्पुरुष समास का कारक चिन्ह- ‘से’ किसी से अलग होने का संकेत देता है, जैसे ‘देशनिकाला’ अपादान तत्पुरुष समास है क्योंकि यहाँ ‘देश से निकाला’ गया अर्थात देश से अलग किया गया का बोध है।
अपादान तत्पुरुष समास के अन्य उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
गुणहीन | गुण से हीन |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
कामचोर | काम से जी चुराने वाला |
पथभ्रष्ट | पथ से भ्रष्ट |
कर्महीन | कर्म से हीन |
स्वादरहित | स्वाद से रहित |
5. संबंध तत्पुरुष समास
सम्बन्ध तत्पुरुष समास में सम्बन्ध कारक के विभक्ति (का, के, की) का लोप हो जाता है। सम्बन्ध तत्पुरुष समास का कारक चिन्ह ‘का, के, की’ होता है। जैसे- ‘भारतरत्न’ = ‘भारत का रत्न’, में कारक चिन्ह ‘का’ का लोप कर दिया गया है।
सम्बन्ध तत्पुरुष समास के अन्य उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
लोकतंत्र | लोक का तंत्र |
प्रेमसागर | प्रेम का सागर |
देवपूजा | देव की पूजा |
राजकुमारी | राजा की कुमारी |
दीनानाथ | दीनों के नाथ |
प्रश्नानुसार | प्रश्न के अनुसार |
6. अधिकरण तत्पुरुष समास
इसमें अधिकरण कारक चिन्ह (‘में, पर’) का लोप हो जाता। जैसे- ‘आपबीती’= ‘आप पर बीती’, में ‘पर’ विभक्ति का लोप हुआ है।
अधिकरण तत्पुर्ष समास के उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
लोकप्रिय | लोक में प्रिय |
कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ठ |
युधिष्ठिर | युद्ध में स्थिर |
आत्मनिर्भर | आत्म पर निर्भर |
घुड़सवार | घोड़े पर सवार |
आत्मविश्वास | आत्म पर विश्वास |
7. तत्पुरुष समास का एक अन्य भेद
नञ् तत्पुरुष समास- नञ् का अर्थ है नकारात्मक। जिसके आरम्भ में ‘अ’, ‘न’ या ‘अन’ उपसर्ग आता हो और जहाँ नकारात्मकता का बोध होता हो वो नञ् तत्पुरुष समास कहलाता है। जैसे- असमर्थ= न समर्थ, अनबोला= न बोला, में नकारात्मकता का बोध होता है तो ये नञ् तत्पुरुष समास।
यह नञ् तत्पुरुष समास कारकीय-चिन्ह रहित तत्पुरुष समास होता है। इसलिए ये तत्पुरुष समास के 6 मुख्य भेदों- कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण तत्पुरुष समास जिनमें कारकीय-चिन्ह युक्त होते हैं, उनसे भिन्न होता है।
नञ् तत्पुरुष समास के उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
अनादर | न आदर |
अनदेखा | न देखा |
नास्तिक | न आस्तिक |
नालायक | न लायक (योग्य) |
अनसुना | न सुना |
असफल | न सफल |
एक नज़र इस पर भी: Vilom Shabd in Hindi – 250+ विलोम शब्दों के अर्थ।
4. अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास का पहला पद अव्यय (अविकारी शब्द) होता है, पूर्व पद प्रधान तथा अपव्यय होता है। अव्ययीभाव समास वाक्य में क्रिया-विशेषण का काम करता है। जैसे- यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार), प्रतिदिन (प्रत्येक दिन), आजन्म (जन्म से लेकर) में क्रम के अनुसार ‘यथा’, ‘प्रति’ और ‘आ’ अव्यय है।
जहाँ एक ही शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है वहाँ भी अव्ययीभाव समास होता है। जैसे- रातोंरात, हाथों-हाथ, धडाधड़, आदि।
अव्ययीभाव समास के अन्य उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
आमरण | मरने तक |
यथाक्रम | क्रम के अनुसार |
प्रतिवर्ष | हर वर्ष |
घर-घर | प्रत्येक घर |
अभूतपूर्व | जो पहले नहीं हुआ |
निर्विवाद | बिना विवाद के |
5. कर्मधारय समास
जिस समास के पूर्वपद और उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य तथा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो और जिसका उत्तरपद प्रधान हो वह Karmadharaya Samas कहलाता है। जैसे- नीलगाय= नीली है जो गाय, में गाय की विशेषता बताई जा रही है की वो नीले रंग की गाय है।
इसमें नील (विशेषण) और गाय (विशेष्य) में विशेषण-विशेष्य का सम्बन्ध है इसलिए ये कर्मधारय समास है। उसी प्रकार मृगनयनी= मृग के समान नयन, में ‘नयनों’ की उपमा ‘मृग’ से दी गयी है। यहाँ ‘नयन’ उपमेय है और ‘मृग’ उपमान है इसलिए ये कर्मधारय समास है।
कर्मधारय समास के अन्य उदाहरण-
समास | समास विग्रह |
चरणकमल | चरण के समान कमल |
परमानंद | परम है जो आनंद |
लालमणि | लाल है जो मणि |
प्राणप्रिय | प्राणों से प्रिय |
कालीमिर्च | काली है जो मिर्च |
चन्द्रमुखी | चन्द्र के समान मुख वाली |
6. द्विगु समास
द्विगु समास का पहला पद संख्यावाची विशेषण होता है। इसका पूर्वपद गौण तथा उत्तरपद प्रधान होता है। द्विगु समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह या समाहार को दर्शाती है। जिस समास में संख्या, समूह तथा समाहार का बोध होता हो उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे- ‘दोपहर’= ‘दो पहरों का समूह’, ‘नवग्रह’= ‘नौ ग्रहों का समूह’।
द्विगु समास के अन्य उदाहरण-
समास | समास-विग्रह |
चौराहा | चार राहों का समूह |
पंचतन्त्र | पांच तंत्रों का समूह |
सप्तऋषि | सात ऋषियों का समूह |
त्रिभुज | तीन भुजाओं का समाहार |
त्रिलोक | तीन लोकों का समाहार |
शताब्दी | सौ अब्दो (वर्षों) का समूह |
विभिन्न समासों में अंतर
समास के विभिन्न प्रकारों को लेकर अक्सर विद्यार्थी उलझन में पड़ जाते हैं और उनकी इसी उलझन को सुलझाने के लिए हमने यहाँ Samas Ke Prakar में अंतर को विस्तार में समझाया है।
समास | पदों की प्रधानता | पहचान | समास विग्रह से पहचानने का तरीका | उदाहरण |
कर्मधारय समास | उत्तर पद प्रधान होता है। |
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विग्रह करते समय ‘समूह’/
समाहार’ शब्द का प्रयोग नहीं होता। |
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द्विगु समास | उत्तर पद प्रधान होता है। | पूर्व पद संख्यावाची विशेषण होता है। | समास विग्रह करते समय समूह या समाहार का प्रयोग होता है। |
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बहुव्रीहि समास | दोनों पद अप्रधान या गौण होते हैं। |
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विग्रह करते समय ‘समूह/ समाहार’ शब्द का प्रयोग नहीं होता। |
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समास पर बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
1. समास का शाब्दिक अर्थ क्या होता है?
a) विग्रह
b) विस्तार
c) संक्षेप
d) विच्छेद
उत्तर- c) संक्षेप
2. Samas Ke Kitne Bhed Hote Hain?
a) 10
b) 4
c) 6
d) 2
उत्तर- c) 6
3. समास के कितने पद होते हैं?
a) 1
b) 4
c) 3
d) 2
उत्तर- d) 2
4. किस समास में शब्दों के मध्य में संयोजक शब्द का लोप होता है?
a) द्विगु
b) तत्पुरुष
c) द्वन्द्व
d) अव्ययीभाव
उत्तर- c) द्वन्द्व
5. देवासुर में कौन सा समास है
a) द्वंद्व
b) कर्मधारय
c) तत्पुरुष
d) बहूव्रीहि
उत्तर- a) द्वंद्व
6. ‘तीन माह का समाहार’ समास-विग्रह का समास रूप क्या होगा?
a) तिरंगा
b) तिमाही
c) तिकोना
d) त्रिवेदी
उत्तर- a) तिरंगा
7. किस विकल्प में ‘बहुव्रीहि’ समास है?
a) चतुर्भुज
b) पंचतंत्र
c) तिराहा
d) छमाही
उत्तर- a) चतुर्भुज
8. देशभक्ति में कौन सा समास है?
a) द्विगु
b) द्वंद्व
c) तत्पुरुष
d) बहूव्रीहि
उत्तर- c) तत्पुरुष
9. किस समास का प्रथम पद संख्यावाची होता है?
a) अव्ययीभाव समास
b) द्विगु समास
c) तत्पुरुष समास
d) द्वंद्व समास
उत्तर- b) द्विगु समास
10. ‘यथास्थान’ सामासिक शब्द का विग्रह होगा?
a) यथा और स्थान
b) स्थान का यथा
c) यथा का स्थान
d) स्थान के अनुसार
उत्तर- d) स्थान के अनुसार
11. ‘आत्मविश्वास’ में समास है-
a) तत्पुरुष
b) बहुव्रीहि
c) कर्मधारय
d) अव्ययीभाव
उत्तर- a) तत्पुरुष
Conclusion
आज के लेख में हमने आपको समास के बारे में लगभग सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बताया। हमें आशा है कि, समास और समास के भेद को लेकर आपको जितनी भी उलझन है वो दूर हो गयी होगी। हिंदी व्याकरण में समास किसे कहते हैं (What Is Samas In Hindi) वो यहां हमने आसान भाषा में बताने की पूरी कोशिश की है, उम्मीद है कि दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी।
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