Shiksha Ka Mahatva – शिक्षा के महत्व पर निबंध एवं उद्देश्य।

Shiksha Ka Mahatva सभी मनुष्य की प्रगति के लिए आवश्यक है। वर्तमान समय में शिक्षा का महत्व व्यक्तिगत, समाज और देश के विकास के लिए

Editorial Team

Shiksha Ka Mahatva

Shiksha Ka Mahatva सभी मनुष्य की प्रगति के लिए आवश्यक है। वर्तमान समय में शिक्षा का महत्व व्यक्तिगत, समाज और देश के विकास के लिए सबसे अधिक उपयोगी है। शिक्षा न केवल हमारे चरित्र में नैतिकता का विकास करती है, बल्कि हमारे अंदर सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाती है और हमें स्वतंत्र बनाती है।

आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना एक पौधे को फलदार पेड़ बनाने के लिए मिट्टी और पानी का महत्व होता है। शिक्षा हमारे ज्ञान, कौशल के साथ हमारे व्यक्तित्व में भी सुधार करती है, तथा लोगों, समाज और देश के प्रति हमारा सकारात्मक दृष्टिकोण बनाती है।

नीचे दिए गए आधुनिक शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education) के माध्यम से आप जीवन में शिक्षा के महत्व को विस्तार से जान पाएंगे। आज इस लेख के द्वारा आप Aadhunik Shiksha Ka Mahatva और भी अच्छे से जान पायेंगे।

अगर कभी आपको किसी परीक्षा में आधुनिक शिक्षा पर निबंध लिखने को आ गया तो आप इस पोस्ट की मदद लेकर शिक्षा के महत्व पर निबंध, कविता, भाषण (Speech) या स्लोगन आसानी से बना पाएंगे।

Shiksha Ka Mahatva का परिचय

शिक्षा की शुरुआत हमारे जन्म के बाद से ही शुरू हो जाती है, जहाँ हमारे माता-पिता हमें व्यवहारिक शिक्षा देते है, यह शिक्षा की सबसे प्रथम सीढी होती है, इसके बाद शिक्षा का अगला स्तर जिसमें हम स्कूल, कॉलेज में पढना- लिखना सीखते हैं और बहुत सारा ज्ञान अर्जित करते हैं, जो हमें शिक्षित अथवा साक्षर बनाता है।

शिक्षा हमें रोजगार के कई अवसर प्रदान करती है, जिससे कोई डॉक्टर बनता है तो कोई इंजिनियर, कोई आईएएस/आईपीएस ऑफिसर तो कोई टीचर। शिक्षा प्राप्त करके हमें ऐसे कई क्षेत्रों में नाम, पैसा और मान-सम्मान प्राप्त होता है, जिसका हमारे व्यक्तिगत विकास के साथ हमारे समाज और देश के विकास में भी भरपूर योगदान रहता है।

क्योंकि देखा जाए तो आज भी हमारे देश की एक संख्या गरीबी का स्तर जी रही रही है, इसका एक बड़ा कारण उन्हें शिक्षा नहीं मिल पाना है। पर सरकार द्वारा ऐसे कई सराहनीय कदम उठाए गए हैं और ऐसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जो पूरे देश में सभी गाँव- शहर तक शिक्षा का पहुंचा रही हैं।

ज़िन्दगी के हर पड़ाव पर शिक्षा काम आती है। चाहे कोई छोटा सा काम अंजाम देना हो या कोई बड़ा और Complex कार्य को सफलतापूर्ववक पूरा करना हो, अगर आप उन कार्यो के लिए शिक्षित और Qualified है तो आप आसानी से काम को बखूबी अंजाम दे सकते है। शिक्षा हमे वो दृष्टि देती है, जिससे बड़े से बड़ा लक्ष्य हम खुद चुनते है और अपनी शिक्षा का उपयोग कर ही हम उस लक्ष्य को पाते हैं।

शिक्षा का महत्व तो सिर्फ वही बता सकता है, जिसने अशिक्षित होने का नुकसान उठाया है। शिक्षा न सिर्फ एक व्यक्ति के लिए, एक परिवार, एक समुदाय तथा एक राष्ट्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आइये आगे बढ़ते है और शिक्षा से जुड़े निबंध (Education Importance) से आपको रूबरू कराते है।

आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व (250 शब्द)

आधुनिक युग एक प्रगतिशील पहिए की तरह लगातार घूम रहा है। आज की जाने वाली नवीन खोज कल पुरानी हो जाती है। यह परिवर्तन इतनी तेज़ गति से घटित हो रहा है, कि इस युग को आधुनिकता का क्रांतिकारी युग कहा जा सकता है।

किसी भी समय में बदलाव अपने आप नहीं आते, बदलाव लाए जाते हैं और इनके पीछे की यह प्रक्रिया शिक्षा के बिना असंभव है। आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व पहले की अपेक्षा काफी बढ़ गया है। लोगों को अपना जीवन यापन करने, अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। शिक्षा जीवन को बेहतर बनाने वाली संभावनाओं तक पहुँचती है।

आज सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना ही काफी नहीं, औद्योगिकरण के युग में ज्ञान के प्रयोग पर अधिक बल दिया जाता है। इसे व्यावहारिक ज्ञान कहा गया है। इसलिए शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं। जिससे बच्चे छात्र जीवन में ही अपने व्यावसायिक समस्याओं के समाधान प्राप्त कर कुशल कर्मचारी बन सके।

आधुनिक युग में विकसित होती सभ्यता तथा मशीनीकरण ने जहां एक और मनुष्य का काम कम किया है। वहीं दूसरी ओर लोग बेरोज़गार भी हुए हैं। वर्तमान समय में शिक्षा के द्वारा आत्मनिर्भर बनने की मुहिम चलाई जा रही है।

इससे ना सिर्फ नए रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे बल्कि नए व्यवसाय व कार्य क्षेत्र के मार्ग भी खोजे जाएँगे। शिक्षा समाज में आवश्यकता से बढ़कर एक मापदंड बन गई है। समाज में उन्हीं लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, जिन्होंने अच्छी शिक्षा प्राप्त की है। इसलिए कहा जा सकता है कि आधुनिक युग में शिक्षा बहुत आवश्यक है।

शिक्षा का महत्व कितना जरुरी है?

शिक्षा हमारे जीवन में उस तत्व के समान है जिसके बिना हम मनुष्य के रूप में अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। अलग-अलग समय में अनेक व्यक्तियों ने शिक्षा के महत्व को परिभाषित किया है, पुराने जमाने में शिक्षा मोक्ष -प्राप्ति का साधन होती थी लेकिन वर्तमान समय में इसका महत्व बदल गया है ,आज शिक्षा नौकरी पाने करने का ज़रिया मानी जाती है। वक्त बदलने के साथ-साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदल गया।

साधारण शब्दों में शिक्षा का अर्थ पढाई या किसी काम के लिए सुशिक्षित होने को माना जाता है, लेकिन शिक्षा का वास्तविक अर्थ ज्ञान का अर्जन नहीं बल्कि ज्ञान का निर्माण करना है। शिक्षा के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।

शिक्षा व्यक्ति के जीवन में औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से सदैव चलती रहती है इसलिए शिक्षा को प्रक्रिया व परिणाम दोनों माना गया है। औपचारिक रूप से शिक्षा विद्यालय की चार दीवारी के भीतर सिर्फ कुछ सालों के लिए प्राप्त होती है, लेकिन शिक्षा अनौपचारिक रूप से हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा सदैव बनी रहती है।

इस प्रकार शिक्षा एक सदैव चलने वाली प्रक्रिया बन जाती है। परिणाम स्वरूप शिक्षा हमारे व्यक्तित्व को आकार देती है। यह जीवन की चुनौतियों के लिए हमे तैयार करती है। हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व बहुत ज़्यादा है।

विद्यार्थी जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध

शिक्षा जन्म से मृत्यु तक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। जब बच्चे छोटे होते हैं तभी से उन्हें स्कूल भेजना शुरू कर दिया जाता है, लेकिन शिक्षा स्कूल से पहले भी शुरू हो चुकी होती है। .

परिवार बच्चे की पहली पाठशाला होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वह स्कूल के साथ-साथ घर में भी बहुत कुछ सीखता है। घर में सिखाए गए संस्कार बच्चे को जीवन जीना सिखाते हैं। शिक्षा अपने आप में कई उद्देश्यों को पूरा करती है। ना सिर्फ घर में बल्कि स्कूल में भी हम जो शिक्षा प्राप्त करते हैं, वह हमारी जिंदगी का आधार होती है।

हम भविष्य में क्या बनेंगे यह हम स्कूल में ही तय करते हैं और शिक्षा ही हमें यह बताती है, कि हम भविष्य में जो भी बनना चाहते हैं वह कैसे बने।

आज टेक्नोलॉजी के इस डिजिटल वर्ल्ड में शिक्षा के बिना इंसान के जीवन में हर कदम पर दुश्वारियां है। इसलिए हम कह सकते हैं कि, शिक्षा व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है तथा व्यक्ति को एक अच्छा जीवन प्रदान करती है।

विद्यालय में प्राप्त की गयी शिक्षा हमे अनुशासन के साथ रहना सिखाती है। सदाचार, सदभावना, सम्मान तथा सहयोग का गुण हम शिक्षा से ही सीखते है। मानव जीवन में शिक्षा न केवल हमे ज़िदग़ी की चुनौतियों के लिए तैयार करती है, बल्कि उन चुनौतियों से हार न मानने का नज़रिया भी देती है।

लड़कियों के लिए शिक्षा का महत्व पर निबंध

एक सभ्य समाज का निर्माण तभी संभव है, जब पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी शिक्षा प्राप्त हो सके। माँ अपने बच्चे की पहली गुरु होती है। बच्चे को सही तथा गलत की समझ माँ ही सिखाती है।

यदि महिलाओं को शिक्षा से वंचित किया जाएगा तो वह ना ही अपना और ना अपने परिवार का भला सोच पाएगी। क्योंकि बच्चे के जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव उसकी मां का ही पड़ता है। वह संस्कार तथा गुण उसे कहीं और से नहीं प्राप्त हो पाते, जो कि सफल जीवन की ओर ले जाएंगे।

शिक्षा महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक शिक्षित महिला जहां एक और राष्ट्र की प्रगति में अपना योगदान देने में सक्षम होती है,वहीं दूसरी ओर अपने खिलाफ हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठा सकती है।

शिक्षा के द्वारा महिलाओं के साथ होने वाले शोषण को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं तथा कई रूढ़िवादी परंपराओं जैसे सतीप्रथा, दहेजप्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि को समाप्त भी किया जा चुका है।

वर्तमान परिस्थितियों में नारी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे निकल चुकी है। वह न केवल एक कुशल शिक्षिका बल्कि एक कुशल वक्ता, नेता, राजनीतिज्ञ और अन्य भूमिकाओं में भी अपनी विलक्षण प्रतिभा दिखा चुकी है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध (400 शब्द)

स्वतंत्रता पूर्व ही भारत में शिक्षा पद्धति को लेकर अनेक कमीशन बनाए गए और शिक्षा के समान अवसर सुलभ कराने के लिए कई जन आंदोलन भी इतिहास में वर्णित है।

महात्मा गांधी जैसे युग पुरुष ने स्वतंत्रता से पहले देश में शिक्षा की दयनीय स्थिति से चिंतित हो, बुनियादी शिक्षा योजना बनाई और लागू की।

लेकिन कोई भी आयोग और योजना एक समय अवधि से अधिक अस्तित्व में ना रह सके। जिसका कारण था समय के साथ-साथ लोगों की मांग का बदलना।

आधुनिक युग में प्रचलित शिक्षा प्रणाली की नींव 1833 में लॉर्ड मैकाले के द्वारा डाली गई। लॉर्ड मेकॉले अंग्रेजी पाश्चात्यवादी विचारक थे। जो भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रभुत्व स्थापित करना चाहते थे। लॉर्ड मेकॉले अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से भारत में एक ऐसे वर्ग का निर्माण करना चाहते थे, जो रक्त तथा वर्ण में भारतीय किंतु विचारों तथा स्वभाव से अंग्रेज हो।

स्वतंत्रता के पश्चात राधा कृष्ण आयोग, मुदालियर आयोग तथा अन्य कई आयोग ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की स्थापना में अपना योगदान दिया किंतु इस संदर्भ में यशपाल कमेटी का विशेष सहयोग रहा।

यशपाल कमेटी के सुझावों के आधार पर 1986 की शिक्षा नीति बनाई गई। जैसे-जैसे समय बदलता गया शिक्षा का स्वरूप भी बदलता गया। हमारी आधुनिक शिक्षा प्रणाली का स्वरूप तीन भागों में विभाजित है-प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा।

कक्षा (1 – 5) शिक्षा प्राथमिक शिक्षा यानी Primary Education के अंतर्गत (6 -12) शिक्षा माध्यमिक शिक्षा यानी Middle Education तथा (12+) की शिक्षा उच्च शिक्षा यानी Higher Education के अंतर्गत आती है।

प्राथमिक स्तर पर बच्चों को सभी विषयों का सामान्य ज्ञान कराया जाता है। माध्यमिक स्तर दो भागों में विभाजित है- पूर्व माध्यमिक तथा माध्यमिक स्तर। माध्यमिक स्तर पर छात्रों को कक्षा 8 तक सभी विषयों का ज्ञान, जबकि कक्षा 9 से एक विशेष क्षेत्र के ज्ञान से परिचित कराया जाता है।

उच्च स्तरीय शिक्षा में छात्रों को किसी एक विषय में पारंगत बनाया जाता है तथा उस विषय का संपूर्ण ज्ञान दिया जाता है। यही आधुनिक शिक्षा प्रणाली है।

शिक्षा किसी भी देश की प्रगति का आधार है। समय के साथ-साथ शिक्षा प्रणाली को भी तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुरूप परिवर्तित होना चाहिए। तभी हमारे देश की तेजी से बढ़ती शैक्षिक बेरोज़गारी को रोका जा सकता है। भारत में आर्थिक उन्नयन व सामाजिक संपन्नता के रास्ते शिक्षा प्रणाली के जरिए खोले जा सकते हैं।

ग्रामीण शिक्षा का महत्व (300 शब्द)

भारत देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। इसलिए भारत में ग्रामीण शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा के इस क्रांतिकारी युग में भी ग्रामीण शिक्षा पिछड़ेपन की मार झेल रही है।

सरकार की ओर से ग्रामीण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय प्रयास किए गए हैं,लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों में सरकार के प्रयास असफल होते दिख रहे हैं।

वर्ष 2009 में शिक्षा को बच्चों का अधिकार बना दिए जाने के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में छात्र संख्या बढ़ी है, लेकिन सामाजिक अज्ञानता के कारण अधिकतर क्षेत्रों में बच्चे प्राथमिक शिक्षा भी ढंग से पूरी नहीं कर पाते। युनिफ़ॉर्म, जूते, किताबें, छात्रवृत्ति तथा एक समय भोजन के लालच में निर्धन ग्रामीण जनता शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य से अनभिज्ञ है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 70% जनसंख्या कृषि कार्यों पर निर्भर है। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी शिक्षा तथा प्रशिक्षण सुविधाएँ बच्चों को उपलब्ध कराई जाए, तो वह भविष्य मे खेती की नई तकनीक का प्रयोग कर कृषि क्षेत्र को उन्नत बना सकते हैं।

इस दिशा में झारखंड में की गई पहल काफी सराहनीय है, जिसमें वहीं के स्थानीय स्नातक अपने क्षेत्र में रहते हुए शिक्षण, कृषि, कुटीर व लघु उद्योग, चिकित्सा तथा अन्य क्षेत्रों में कार्यरत हैं।

उनकी सेवाएं क्षेत्र की संपन्नता की भावना से मिलकर प्रबल रूप से विकास की ओर अग्रसर है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार से यदि एक शिक्षित व्यक्ति मुखिया बनेगा, तो निश्चित ही उस गांव का विकास होगा।

सरकारी योजना का सही उपयोग व क्रियान्वयन होगा। जिससे साधारण जनमानस लाभान्वित होंगे। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पढ़े-लिखे होंगे, तो अपने क्षेत्र में ही रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर सकेंगे।

शहरों की ओर पलायन रुकेगा। लोगों को अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए अपना गांव नहीं छोड़ना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व औद्योगिकरण के पटल पर बढ़ते आधुनिक भारत की प्राथमिक आवश्यकता है।

शारीरिक शिक्षा का महत्व

शारीरिक शिक्षा का अर्थ शरीर से संबंधित शिक्षा से है। जिसमें न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य व स्वच्छता से संबंधित ज्ञान दिया जाता है, बल्कि शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए भिन्न-भिन्न व्यायाम खेल-कूद तथा पोषण संबंधी विषय भी शारीरिक शिक्षा की पाठ्यचर्या में शामिल किए जाते हैं। शारीरिक शिक्षा का महत्व इतना ज्यादा है, कि स्कूलों में तथा कॉलेजों में इसे अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।

अरस्तु की परिभाषा के अनुसार:

“स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण ही शिक्षा है। ”

प्राचीन समय से ही मान्यता है कि जब तक आपका शरीर स्वस्थ नहीं होगा, आपकी बुद्धि (मस्तिष्क) का विकास सही ढंग से नहीं हो सकता।

यही कारण है कि हमारी सरकार भी बौद्धिक ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य की ओर ध्यान देती है। सरकार शिक्षा के साथ-साथ मिड-डे-मील कार्यक्रम, स्काउट गाइड कार्यक्रम आदि चलाती है, जिससे बच्चे कक्षा में शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा की ओर भी पर्याप्त ध्यान दे सकें।

शारीरिक शिक्षा हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। शारीरिक शिक्षा के कारण छात्र कक्षा की नीरस गतिविधियों से हटकर खुले मैदान में खेल कर मन बहलाते हैं।

यह छात्र के मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए नितांत आवश्यक है। हमारे आस-पास का माहौल हम पर कई तरह से असर डालता है। हम जिस परिवेश में रहते है, उसकी सफाई और संरक्षण हमारी ज़िम्मेदारी है।

पर्यावरण शिक्षा का महत्व (150 शब्द)

यदि हम पर्यावरण शब्द को दो भागों में तोड़े तो हम पाएंगे, कि पर्यावरण शब्द दो शब्दों के योग से बना है- परि + आवरण।  इसमें परि का अर्थ है ‘चारों ओर’ और आवरण का अर्थ है ‘ढका हुआ’ इस प्रकार पर्यावरण से तात्पर्य चारों ओर से ढका हुआ अर्थात हमारे चारों ओर का आवरण हमारा पर्यावरण है।

इनसाइक्लोपीडिया ऑफ एजुकेशन रिसर्च के अनुसार-

“शिक्षा का कार्य व्यक्ति का पर्यावरण से इस सीमा तक सामंजस्य स्थापित करना होता है, जिससे व्यक्ति और समाज को स्थाई संतोष मिल सके।”

मनुष्य तथा प्रकृति एक दूसरे पर आश्रित हैं, लेकिन आधुनिकता की अंधी दौड़ में मनुष्य खुद को प्रकृति से ऊपर समझने लगा तथा प्राकृतिक संपदा का अंधाधुंध दोहन करने लगा । इससे हमारे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। मनुष्य ने आज प्रदूषण से न केवल भूमि को बर्बाद किया बल्कि फैक्ट्री से निकलने वाले धुएँ से वायु तथा जल के दुरुपयोग से जल प्रदूषण भी बढ़ा है। हमने प्रदूषण से प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया, जिसके कारण आज मानव संकट ग्रस्त परिस्थितियों की मार झेल रहा है।

पर्यावरण शिक्षा के द्वारा हम अपने पर्यावरण की महत्ता को समझते हैं। साथ ही साथ किस प्रकार मनुष्य प्रकृति का पूरक बनकर उसके संरक्षण, गुणवत्ता और सुधार की दिशा में कार्य कर सकता है। इसका ज्ञान भी पर्यावरण शिक्षा के ज़रिये प्राप्त होता है।

परिवार में शिक्षा का महत्व (300 शब्द)

परिवार राष्ट्र की प्रथम इकाई है। परिवारों से मिलकर समुदाय और समुदाय से एक राष्ट्र का निर्माण होता है। परिवार बालक की प्रथम पाठशाला भी है। स्कूल जाने से पहले बच्चा अपने परिवार में बहुत कुछ सीखता है। समाज द्वारा स्वीकृत आचरण व व्यवहार परिवार ही बालक को सिखाता है। इस प्राथमिक शिक्षा के बाद ही व्यक्ति को सामाजिक रुप से स्वीकृति मिलती है और उसका सामाजिक जीवन शुरू होता है।

समाज में विभिन्न वर्गों में तेजी से आए सामाजिक परिवर्तनों के कारण लोग अब परिवार में शिक्षा के महत्व को आवश्यक मानते हैं। परिवार शिक्षा व्यक्ति के आचरण से दिखती है।

व्यक्ति अपने परिवार से जिस प्रकार का व्यवहार, आदतें, संस्कार और मान्यताएं सीखता है, वही उसके जीवन मूल्य बन जाते हैं। व्यक्ति का पूरा जीवन उसके जीवन मूल्यों द्वारा ही निर्धारित होता है।

वह परिवार में प्राप्त की गई शिक्षा का ही प्रभाव होता है, जिससे एक बच्चा अपने परिवार में चोरी, गाली-गलौज, आलस्य व अशिक्षा देखता है तो यह सब अपने आप अनुकरण से सीख जाता है। वही दूसरी और दूसरा बच्चा अपने परिवार में ईमानदारी, सदभावना, सहयोग, कर्मठता तथा सहानुभूति देखता है तो यह सब स्वयं सीख जाता है।

इस प्रकार परिवार समाज को दो भिन्न भिन्न प्रकार के व्यक्ति देता है, जो सामाजिक संरचना में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह बात हम सभी जानते हैं कि समाज अच्छा तब होगा जब समाज में रहने वाले व्यक्ति सद्गुणों से पूर्ण होंगे। इसलिए अच्छी पारिवारिक शिक्षा हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

दोस्तों, हम सब बचपन से सुनते आये है ‘शिक्षा है बहुमूल्य धन,पढ़ने का सब करो जतन’। हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व इतना ज़्यादा है, की हम जो शिक्षा पाते है वह हमारा जीवन निर्धारित करती है। ज्ञान एक मात्र ऐसी चीज़ है जो बाँटने पर बढ़ता है।आइये ,कविता के माध्यम से हिन्दी में शिक्षा के महत्व यानि (शिक्षा है अनमोल रत्न Speech) को जानें:

शिक्षा का महत्व कविता

(Shiksha Ka Mahatva Kavita In Hindi)

अंधकार को दूर कर जो प्रकाश फैला दे

बुझी हुई आस मे विश्वास जो जगा दे

जब लगे नामुमकिन कोई भी चीज

उसे मुमकिन बनाने की राह जो दिखा दे, वो है शिक्षा

हो जो कोई असभ्य, उसे सभ्यता का पाठ पढ़ा दे

अज्ञानी के मन में, जो ज्ञान का दीप जला दे

हर दर्द की दवा जो बता दे, वो है शिक्षा

वस्तु की सही उपयोगिता जो समझाए

दुर्गम मार्ग को सरल जो बनाए

चकाचौंध और वास्तविकता में अंतर जो दिखाए

जो ना होगा शिक्षित समाज हमारा

मुश्किल हो जाएगा सबका गुजारा।।

इंसानियत और पशुता के बीच का अन्तर है शिक्षा

शांति, सुकून और ख़ुशियों का जन्तर है शिक्षा

भेदभाव, छुआछुत और अधविश्वास दुर भगाने का मन्तर है शिक्षा

जहाँ भी जली शिक्षा की चिंगारी

नकारात्मकता वहाँ से हारी

जिस समाज में हों शिक्षित सभी नर-नारी

सफलता-समृद्धि खुद बने उनके पुजारी।।

इसलिए आओ शिक्षा का महत्व समझे हम

आओ पूरे मानव समाज को शिक्षित करें हम

शिक्षा की अलख जलाती छोटे बच्चों के लिए प्रेरणादायक कविता।

प्यारे बच्चो पढ़ो पढ़ो कुछ,

जीवन में तुम गढो गढो कुछ।

समय नहीं फिर मिल पायेगा,

जीवन असफल हो जायेगा।

सीखो तुम कुछ करना श्रम,

जो भी करलो समझो कम।

पूरा जग हो तुमसे नीचा,

ऐसा कार्य करो तुम ऊँचा।

पढ़ लिख कर बनो विद्वान्,

दूर दूर तक होवे सम्मान।

ऐसी पूँजी है यह शिक्षा,

कभी मांगनी पड़े न भिक्षा।

बढ़ जाता है इससे ज्ञान,

नत मस्तक होता अज्ञान।

दूर करो मन का अँधियारा,

फिर लाओ जग में उजियारा।

शिक्षा का महत्त्व पर स्लोगन

(Quotes on Importance of Education)

  • “सभी समस्याओं का हल, शिक्षा देगी बेहतर कल।”
  • “अच्छी शिक्षा और संस्कार, इन पर है सभी का अधिकार।”
  • “आज अपने बच्चों को शिक्षा का उपहार दें, उन्हें एक सुखमय कल और खुशियों का संसार दें।”
  • “धर्म, जाति और भेदभाव से परे, शिक्षा जीवन में एक सुनहरे कल का निर्माण करे।”
  • “जबसे शुरु हुआ है सर्व शिक्षा अभियान, देश से दूर हुई अशिक्षा और अज्ञानता की खींचतान।”
  • “शिक्षा एक देश के उन्नति के लिए सबसे जरुरी संसाधनो में से एक है।”
  • “शिक्षा के बिना एक मनुष्य बिल्कुल पशु के ही समान है।”
  • “जो अनपढ़ रह जाता है, वह एक दिन पछताता है।”
  • “सब पढे़, सब बढ़े।”
  • “रोटी, कपड़ा और मकान, पर शिक्षा से बनेगा देश महान।”
  • “शिक्षा एक अनमोल रतन, पढ़ने का सब करो जतन।”
  • ”जब पढ़ा लिखा होगा हर इन्सान तभी होंगा राष्ट्र महान।”
  • “आज पढो, कल बढो।”
  • “शिक्षा सभी सपनों के दरवाज़े की कुंजी है।”

शिक्षा का महत्व 10 लाइन में

शिक्षा की उपयोगिता मनुष्य को जिंदगी भर रहती है। इसके महत्व को चंद शब्दों में समझाया नहीं किया जा सकता। फिर भी हमने शिक्षा के 5 महत्व (5 Importance of Education) एवं शिक्षा के 8 महत्व दिए है।

  • शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को विकसित करने का कार्य करती है।
  • जीवन के प्रारंभ से शिक्षा का आरंभ तथा जीवन की अंत के साथ ही शिक्षा का अंत होता है।
  • यह हमें विवेक के साथ-साथ सूझ-बूझ प्रदान करती है।
  • यह मानव व्यवहार को परिष्कृत कर इस संसार को जीने लायक जगह बनाती है।
  • मनुष्य के उत्थान और पतन उसके द्वारा प्राप्त की गई शिक्षा पर निर्भर करते हैं।
  • व्यक्ति के जीवन में शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण और कुछ भी नहीं है।
  • शिक्षा मानव व्यवहार का वो दर्पण है जिसमे हर व्यक्ति अपना प्रतिबिम्ब देखता है।
  • विद्यार्थी जीवन में शिक्षा महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ शिक्षा की उपयोगिता जीवन की सभी अवस्थाओं में रहती है। इसीलिए प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था भी की गयी है, ताकि उम्र आप की शिक्षा में कभी बाधा ना बने।

शिक्षा का महत्व पर अनुच्छेद

(Shiksha Ka Mahatva Anuched)

“शिक्षा सबसे ज्यादा शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं”

निष्कर्ष

आशा है की आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और ‘शिक्षा का महत्व’ के बारे में कई उपयोगी जानकारियाँ मिली होंगी। उम्मीद करते है, आप इसे अपने मित्रों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर ज़रूर करेंगे। लेख को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद, आपको यह लेख कैसा लगा हमे कमेंट कर ज़रूर बताए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. राष्ट्र निर्माण में शिक्षा का महत्व क्या है?

उत्तर- शिक्षा राष्ट्र निर्माण का मूलभूत आधार है। राष्ट्र का निर्माण उस में बसने वाले लोगों की मेहनत, ज्ञान और विचारों का प्रति फल होता है। शिक्षा के द्वारा हम मस्तिष्क में शुभ विचारों को उत्पन्न कर सकते हैं। व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और मानवता के स्तर पर शिक्षा का महत्व अतुलनीय है।

प्रश्न 2. शिक्षा किस प्रकार व्यक्तित्व निर्माण करती है?

उत्तर- बच्चा जब छोटा होता है ,तभी से स्कूल में उसे नैतिक आचरण सिखाया जाता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, उसे इस लायक बनाया जाता है कि परिवार तथा समाज में खुद को ढाल सके। शिक्षा व्यक्ति को लाइफ के लिए विजन देती है और हमें इस लायक बनाती है, कि हम जीवन में अपनी शर्तों पर जी सके। इस तरह एजुकेशन (शिक्षा) से हमारी पर्सनैलिटी डिवेलप होती है।

प्रश्न 3. शिक्षा के द्वारा क्रिएटिविटी पैदा होती है?

उत्तर- तेजी से Develop हो रही इस दुनिया में हमेशा कुछ ना कुछ नया होता आया है। आज की दुनिया बीते जमाने से ज्यादा बेहतर और सुविधाजनक इसीलिए है कि नयी खोजें और शोध लगातार चलते रहते हैं। कुछ नया करने के लिए व्यक्ति का अपने विचारों और Skills पर काम करना ही Creativity है और ये सब शिक्षा से ही मुमकिन है।

प्रश्न 4. शिक्षा योग्यता विकसित करती है?

उत्तर- स्कूल जाने से पहले हमें पढ़ना लिखना नहीं आता। जब हम स्कूल जाते हैं तब हमें पढ़ना और लिखना सिखाया जाता है। हम जो कुछ भी सीखते हैं, वह ज्यादातर किताबों के रूप में उपलब्ध होती है। किताबों से जो भी ज्ञान हम प्राप्त करते हैं वह पढ़ कर प्राप्त करते हैं। अपनी नॉलेज को दूसरों तक पहुंचाने के लिए हम लेखन कौशल का प्रयोग करते हैं।

यह शिक्षा का आधार है, जिस पर एक विशाल इमारत बनाई जाती है। जैसे-जैसे आज हम शिक्षा प्राप्त करते हैं, पढ़ने तथा लिखने के साथ-साथ अन्य कई कौशल सीख जाते हैं।

प्रश्न 5. शिक्षा से हमारा समाज कैसे प्रभावित होता है?

उत्तर- एक शिक्षित व्यक्ति सामाजिक और नैतिक नियमों को अशिक्षित व्यक्ति की अपेक्षा ज्यादा बेहतर विकसित कर सकता है। शिक्षित व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी समझता है और निष्ठा पूर्वक अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाता है।

वह सही गलत में भेद कर सकता है तथा ईमानदारी सहयोग सहानुभूति जैसे गुणों को अपने आचरण में अपना कर एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकता है।

शिक्षा के अभाव में गरीबी, अपराध, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार जैसी अराजकता समाज में व्याप्त हो जाती है। एक अच्छे समाज का निर्माण अच्छी शिक्षा के बिना नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 6. शिक्षा के द्वारा गरीबी कैसे मिटाई जा सकती है?

उत्तर- जिस घर में शिक्षा का प्रकाश होता है वहाँ मां लक्ष्मी का वास होता है। जो व्यक्ति शिक्षित होगा,वह हर परिस्थिति में अपनी जीविका कमा सकता है। शिक्षा ग्रहण करने का एक सीधा और औपचारिक अर्थ रोज़गार प्राप्त करना या कैरियर बनाना माना जाता है। औद्योगीकरण के युग में व्यक्ति शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बन सकता है और अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर सकता है।

जो व्यक्ति शिक्षित नहीं होता वह दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चल पाएगा। एक अशिक्षित व्यक्ति से समाज कल्याण और राष्ट्र की प्रगति में सहयोग देने की उम्मीद करना बेवकूफी है।

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