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यदि सॉफ्टवेयर में थोड़ी सी भी खराबी होती है तो इससे बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। किसी सॉफ्टवेयर को बनाने के लिए डेवलपमेंट टीम द्वारा कार्य किया जाता है और उसके बाद सॉफ्टवेयर को एरर फ्री बनाने के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टर कार्य करता है। तो आइये अब विस्तार में जानते है सॉफ्टवैयर टैस्टिंग क्या है। यह जानकारी प्राप्त करने के बाद आप Software Testing Course भी कर सकते है।
Software Testing Kya Hai
सॉफ्टवेयर को बनाने के बाद सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के द्वारा यह देखा जाता है की सॉफ्टवेयर में किसी तरह की कोई एरर तो नहीं है और एरर होने के बाद उसे एरर फ्री बनाया जाता है। कुछ एरर की वजह से ज्यादा नुकसान भी हो सकता है। यूजर की आवश्यकता को देखते हुए सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता का पता लगाया जाता है जिससे यूजर बिना परेशानी के उसका इस्तेमाल कर सके।
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Software Testing Kaise Karte Hai
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग को तीन तरह से किया जाता है जिनके बारे में आपको नीचे बताया गया है।
Black Box Testing
इस प्रकार की टेस्टिंग में सॉफ्टवेयर कोड की आवश्यकता नहीं होती है टेस्टर को पता नहीं होता है की इनपुट पर कैसे कार्य करना है।
White Box Testing
व्हाइट बॉक्स टेस्टिंग में सॉफ्टवेयर कोड का ध्यान रखा जाता है। सॉफ्टवेयर कोड के द्वारा टेस्टर इंटरनल लॉजिक का परिक्षण करता है। व्हाइट बॉक्स टेस्टिंग सामान्यतः यूनिट लेवल पर की जाती है।
Grey Box Testing
इस टेस्टिंग में टेस्टर के पास पहले से ही डिज़ाइन का और डेटाबेस का एक्सेस रहता है जिससे सॉफ्टवेयर को और भी ज्यादा अच्छी तरह से टेस्ट किया जा सकता है।
Software Testing Tools
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के लिए जिन Tools का इस्तेमाल किया जाता है वो आपको आगे बताये गए है।
- Silktest
- Selenium
- Winrunner
- Loadrunner
- Watir
- Robotium
- Testcomplete
- Testing Anywhere
- HP Quicktest Professional
Software Testing Course
बहुत से इंस्टिट्यूट में सॉफ्टवेयर टेस्टिंग कोर्स करवाए जाते है जिसमें आप डिप्लोमा कोर्स और सर्टिफ़िकेट कोर्स कर सकते है। Software Testing Course करने के लिए कई इंस्टिट्यूट में बीसीए, बीई, एमएससी, बीएससी, बीटेक, एमटेक की डिग्री लगती है।
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Software Testing Jobs
यदि आप Software Testing Course करते है तो इसके बाद एक अच्छी आईटी सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब कर सकते है। बहुत सी सॉफ्टवेयर कंपनियां सॉफ्टवेयर टेस्टर की भर्ती करती है।
Conclusion:
Software Testing के बाद ही कोई सॉफ्टवेयर यूजर की आवश्यकताओं पर खरा उतरता है। किसी सॉफ्टवेयर को बनाने में बहुत मेहनत लगती है इसलिए पहले टेस्टिंग की जाती है और उसके बाद उसे Users के उपयोग के लिए लाँच किया जाता है जिससे की सॉफ्टवेयर बिना किसी परेशानी के कार्य कर सके। दोस्तों इस पोस्ट को अपने फ्रैंड्स के साथ जरुर Share करे और अगर पोस्ट पसंद आयी हो तो पोस्ट को Like करना ना भूले, धन्यवाद!
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