
हैलो दोस्तों Hindi Sahayta में आपका स्वागत है। आज की पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे है FDI Kya Hai यदि आप भी FDI की जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये है। इसके साथ ही आप यह भी जानेंगे की FDI Ke Fayde क्या है।
FDI Vs FII In Hindi भी आज आप इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे। हम आपको यह बिल्कुल सरल भाषा में समझाएँगे। आशा करते है की आपको हमारी सभी पोस्ट पसंद आ रही होगी। इसी तरह आप आगे भी हमारे ब्लॉग पर आने वाली प्रत्येक पोस्ट को पसंद करते रहे।
FDI देश के विकास के लिए आवश्यक होता है। FDI के द्वारा देश में रोज़गार के क्षेत्र का विस्तार होता है। बहुत सी बाहर की विदेशी कंपनियां भारत में आकर निवेश करती है और भारतीय कंपनी में अपनी हिस्सेदारी लेती है। इससे आम जनता को भी बहुत हद तक लाभ प्राप्त होते है।
इससे विदेशी निवेशक को भी फायदे होते है। FDI से विदेशी निवेशक को नए बाजार में लाभ प्राप्त करने का मौका मिलता है। FDI के लिए सरकार द्वारा सेक्टर को ध्यान में रखते हुए और कारोबारियों की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए नियम बनाये गए होते है। इन नियमों को ध्यान में रखकर FDI की जाती है।
तो आइये जानते है FDI Kya Hota Hai इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए यह पोस्ट What Is FDI In Hindi? शुरू से अंत तक ज़रुर पढ़े। पोस्ट को अंत तक पढ़ने के बाद ही आपको FDI की पूरी जानकारी प्राप्त होगी।
Table of Contents
FDI Kya Hai
जब किसी एक देश की कंपनी में किसी दूसरे देश के द्वारा Investment किया जाता है तो इसे FDI कहते है। भारत का यह कानून किसी गैर भारतीय या गैर भारतीय कंपनी को इसकी सुविधा प्रदान करता है। इसे विदेशी निवेश के नाम से भी जानते है। FDI में जो निवेशक निवेश करता है वह उस कंपनी के प्रबंध का कुछ हिस्सा ख़रीद लेता है। और वह निवेशक उस कंपनी के प्रबंधन का सदस्य बन जाता है।
निवेशक उस कंपनी के निवेश खरीद सकता है, बांड ख़रीद सकता है या अपना नया कारखाना भी खोल सकता है। किसी कंपनी में FDI द्वारा जो निवेश किया जाता है वह प्रत्यक्ष निवेश या सीधा निवेश के रूप में जाना जाता है तथा जो निवेश किया गया है वह FDI में तभी माना जाएगा जब निवेशक कंपनी के 10% निवेशक खरीदे।
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FDI Full Form –
FOREIGN DIRECT INVESTMENT
FDI Full Form In Hindi
FDI Ka Full Form –
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
FDI के प्रकार
FDI मुख्य रूप से 2 प्रकार होते है। जिसके बारे में आपको आगे बताया जा रहा है।
ग्रीन फ़ील्ड –
इसके अंतर्गत दूसरा देश एक नई कंपनी खोल सकता है। अगर कोई विदेशी कंपनी भारत में निवेश करके अपना नया कारखाना खोलती है या किसी नई store को खोलती है, शुरू करती है तो उसे ग्रीन फ़ील्ड कहते है। अगर वह चाहे तो पूरे स्वामित्व के साथ भारतीय कंपनी की सहायक कंपनी भी खोल सकती है।
ब्राउन फ़ील्ड –
इस फ़ील्ड के अंतर्गत निवेशक अलग से कोई कारखाना नहीं खोलता है बल्कि वह कंपनी के पुराने कारखाने के प्रबंध का हिस्सा ही खरीदकर उसका मालिकाना हक़ प्राप्त कर सकती है। जिसमें विदेशी कंपनी भारत में चल रहे पुराने कारखाने में अपना हिस्सा खरीदकर उसके प्रबंधन पर अपना हिस्सा प्राप्त कर सकती है। जिसे की ब्राउन फ़ील्ड कहते है।
निवेश करने के दो तरीके
विदेशी निवेशक 2 तरह से निवेश कर सकते है। जानते है किन 2 तरीकों से विदेशी निवेशक निवेश कर सकते है।
1. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश –
किसी दूसरे देश की कंपनी में जो निवेश किया जाता है उसे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कहते है। यह निवेश सीधा निवेश होता है जो दीर्घ अवधि के लिए होता है।
2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश –
जब विदेशी निवेशक भारतीय कंपनी से 10 % से कम हिस्सेदारी खरीदता है तो उसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेश कहते है। यह कम समय की अवधि के लिए होता है।
FDI Ke Fayde
यदि विदेशी निवेश होता है तो देश में जो FDI आता है उसके फायदे आम जनता को होते है। जानते है इससे होने वाले फ़ायदों के बारे में।
- विदेशी निवेश से प्रोडक्शन की लागत बहुत कम हो जाती है।
- FDI के तहत कोई विदेशी निवेशक किसी भारतीय कंपनी की नई शाखा खोल सकता है जिससे की रोज़गार के नए अवसर प्राप्त होते है।
- इसके द्वारा नई प्रोद्योगिकी भी देश में आती है जो देश के विकास में अहम भूमिका निभाता है।
- यदि विदेशी कंपनियाँ देश में नए कारखाने खोलेगी तो देश में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और आम जानता को अच्छे और सस्ते उत्पाद उपलब्ध होंगे।
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FDI Ke Nuksan
FDI के अगर फायदे है तो इसके कुछ नुकसान भी है। जो आपको आगे बताये गए है जानते है इससे होने वाले नुक़सान के बारे में।
- इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है की बड़ी कंपनियाँ कुशल लोगों को तो नौकरी उपलब्ध कराएगी लेकिन अकुशल लोगों को नौकरी नहीं मिल पाएगी।
- इससे छोटी कंपनियों को भी नुकसान होगा। बड़ी कंपनियाँ सस्ता सामान बेचकर जनता को अपना ग्राहक बनेगी। जिससे छोटी कंपनियाँ उनका मुकाबला नहीं कर पाएगी। जिससे छोटी कंपनियों को नुकसान होगा।
- विदेशी कंपनियाँ सभी मौजूद कंपनियों का अधिग्रहण करके बाजार पर अपना कब्ज़ा जमा सकती है।
Difference Between FDI And FII In Hindi
FDI और FII में कुछ मुख्य प्रकार के अंतर होते है जो आपको नीचे बताये गए है। जानते है इन दोनों के बीच के अंतर के बारे में।
- FDI में निवेश 10% से ज्यादा का होता है। जबकि FII में निवेश 10% से कम का होता है।
- FII में लॉकिंग पीरियड नहीं होता है जबकि FDI में लॉकिंग पीरियड होता है।
- जब कोई बाहर की कंपनी अपना पैसा भारत की कंपनी में लगाती है जिसमें सेकंड पार्टी की जरुरत नहीं होती है तो उसे FDI कहते है। लेकिन जब कोई बाहर की कंपनी किसी के द्वारा अपना पैसा भारत की कंपनी में लगाती है तो उसे FII कहते है।
- FDI का उपयोग लम्बे फायदे के लिए किया जाता है। जबकि FII का उपयोग छोटे-छोटे फ़ायदों के लिए किया जाता है।
Conclusion
आज की पोस्ट में आपने जाना FDI kya hota hai और इसके साथ ही FDI ke fayde भी आपने जाने। आशा करते है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
FDI kya hai Hindi me जानने के लिए हमारी इस पोस्ट की मदद ज़रुर ले। FDI ki jankari आप इस पोस्ट के द्वारा अच्छे से जान गये होंगे। आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताये।
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