Down Syndrome Kaise Hota Hai? – डाउन सिंड्रोम होने के कारण, लक्षण और इलाज!

जब आपको पता चलता है की आपके बच्चे को डाउन सिंड्रोम है तो आप काफी परेशान हो जाते है और आपको अपने बच्चे के भविष्य

Editorial Team

जब आपको पता चलता है की आपके बच्चे को डाउन सिंड्रोम है तो आप काफी परेशान हो जाते है और आपको अपने बच्चे के भविष्य की चिंता होने लगती है। लेकिन आपको परेशान होने के बजाय समझदारी से काम लेना चाहिए और अपने बच्चे की ख़ास देखभाल करनी चाहिए। आज की पोस्ट में आपको हम Down Syndrome Ke Baare Mein पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

यह समय किसी भी माता-पिता के लिए बहुत मुश्किल होता है। Down Syndrome से पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों की अपेक्षा अलग तो होते ही है लेकिन डाउन सिंड्रोम से पीड़ित सारे बच्चे भी एक-दूसरे से अलग होते है। आपको उनकी ज़रूरतों और परेशानी को समझना चाहिए।

अब जानते है डाउन सिंड्रोम रोग क्या है जिसमें आपको डाउन सिंड्रोम के कारण होने वाली परेशानी और जोखिमों के बारे में पता चलेगा। जिससे की आप समय रहते इन जोखिमों से बच सकेंगे।

डाउन सिंड्रोम

Down Syndrome Kya Hai

यह किसी तरह की बीमारी नहीं है बल्कि एक तरह का अस्पष्ट दोष होता है जिसमें बच्चे का मानसिक विकास और शारीरिक विकास देर से होता है। यह एक आनुवंशिक रोग है जो क्रोमोसोम से जुड़ा एक विक़ार होता है। Down Syndrome Ke Bache में सीखने-समझने की क्षमता बहुत ही कम होती है बहुत ही कम लोगों को डाउन सिंड्रोम रोग होता है।

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Down Syndrome Ki Khoj Kisne Ki

जॉन लैंगडन डाउन ने 1862 में Down Syndrome Ki Khoj की थी। जो की एक अंग्रेजी चिकित्सक थे और 20 वीं सदी तक आते-आते डाउन सिंड्रोम ने मानसिक विकलांगता को पहचानने का रूप ले लिया था।

Down Syndrome Kaise Hota Hai

जब शिशु का जन्म होता है तो सामान्य तौर पर वह 46 क्रोमोसोम के साथ जन्म लेता है। 23 क्रोमोसोम पिता से और 23 क्रोमोसोम माता से ग्रहण करता है। लेकिन Down Syndrome Baby में एक क्रोमोसोम अधिक होता है जिसे 21 वां सिंड्रोम कहते है। जिसके कारण शरीर में 47 क्रोमोसोम हो जाते है जो मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है।

डाउन सिंड्रोम के प्रकार

डाउन सिंड्रोम मुख्यतः 3 प्रकार के होते है जो नीचे बताये गए है। जानते है इनके प्रकारों के बारे में।

  • ट्राइसोमी 21

इसमें शरीर की सभी कोशिकाओं में क्रोमोसोम 21 की 2 की जगह 3 कॉपी होती है।

  • मोजेक डाउन सिंड्रोम

इस सिंड्रोम से कुछ ही कोशिकाओं में क्रोमोसोम 21 आता है। जब कोशिकाएं विभाजित होती है तो कुछ सामान्य और कुछ असामान्य कोशिकाएं बनती है।

  • ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम

इसमें क्रोमोसोम 21 का एक भाग टूट जाता है और दूसरे क्रोमोसोम के साथ जुड़ जाता है। यह माता-पिता के द्वारा बच्चे में आ जाता है जिसके कारण डाउन सिंड्रोम हो जाता है।

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Down Syndrome Symptoms

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हर बच्चा अलग होता है। बहुत से बच्चे काफी स्वस्थ होते है और कुछ बच्चों में बौद्धिक और शारीरिक विकास की समस्या गंभीर होती है। आगे आपको Down Syndrome Ke Lakshan बताये गए है जो Down Syndrome Ke Bache में देखे जाते है।

  • गर्दन के पीछे की त्वचा बढ़ने लगती है।
  • हाथों का चौड़ा और छोटा होना और हथेली में एक लकीर।
  • नाक और चेहरा चपटा होता है।
  • आँखें ऊपर की तरफ झुकी होती है।
  • कान और गर्दन छोटे होते है।
  • लचीलापन अधिक होता है।
  • कद भी बहुत छोटा होता है।

Down Syndrome Ka Ilaj

इन बच्चों की उचित देखभाल ही डाउन सिंड्रोम का इलाज होता है। Down Syndrome Baby के प्रति सकारात्मक रहना चाहिए और उन्हें अनुकूल प्रशिक्षण देना चाहिए। मानसिक और बौद्धिक विकास का इलाज करवाने के लिए किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह ले और स्पीच थेरेपी, फिजियो थेरेपी ज़रुर करवाए। यदि Down Syndrome Ke Bache को प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें प्रशिक्षण दिया जाये तो वह संगीत, कला और खेल के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन दिखाते है। समय-समय पर बच्चे की सभी प्रकार की जांच करवानी चाहिए।

डाउन सिंड्रोम टेस्ट

ऐसे बहुत से अच्छे क्लिनिक है जहां पर डाउन सिंड्रोम टेस्ट किये जाते है। इस टेस्ट को गर्भावस्था के दौरान 13-14 सप्ताह के भीतर किया जाता है। इसे डाउन सिंड्रोम स्क्रीनिंग टेस्ट कहते है। इस टेस्ट के द्वारा सिर्फ इस बात का पता लगाया जाता है की शिशु को डाउन सिंड्रोम होने की संभावना कितनी है।
ज्यादा जोखिम वाले मामलों में गर्भाशय के अंदर एक सुई को लगाया जाता है जिसके द्वारा डाउन सिंड्रोम का पता लगाते है। गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे में डाउन सिंड्रोम है या नहीं यह जानने के लिए कई तरह के डाउन सिंड्रोम टेस्ट होते है- ट्रिपल टेस्ट, ड्यूल टेस्ट, अल्ट्रा सोनोग्राफी, एम्नीयोसेंटिसिस आदि।

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Down Syndrome Facts

डाउन सिंड्रोम बेबी को विशेष देखभाल की जरुरत होती है और यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो यह भी सामान्य बच्चों की तरह सारे कार्य कर सकते है।

  • कभी भी Down Syndrome Ke Bache की तुलना सामान्य बच्चे से नहीं करना चाहिए इससे उनका मनोबल कम होता है।
  • यह बच्चे सामान्य बच्चों के मुकाबले बीमार जल्दी हो जाते है। डाउन सिंड्रोम बेबी को बिमारियों से बचाकर रखे। समय-समय पर टिके लगवाते रहे।
  • बच्चों को पोषक तत्व से भरपूर भोजन दे उनके पोषण का ध्यान रखे।
  • Down Syndrome Ke Bache को सामान्य बच्चों के साथ खेलने दे।
  • डाउन सिंड्रोम बेबी में मोटापे को ना बढ़ने दे। मोटापा दूसरी बिमारियों को भी जन्म दे सकता है। बच्चों को खेलों के लिए, डांस और उनकी पसंद के क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करे।
  • चमत्कारी उपचार पर गलती से भी विश्वास नहीं करना चाहिए।
  • बच्चों को कभी भी अपराधबोध नहीं करवाना चाहिए। उन्हें सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित करे और आप भी सकारात्मक सोच रखे। उनके साथ घुले-मिले और उन्हें भरपूर प्यार दे।
  • Down Syndrome Kids को अधिक सुरक्षा में ना बांधकर रखे।
  • दैनिक क्रियाओं के कामों को इन्हें खुद ही करने दे। जितना ज़रुरी हो उतनी ही सहायता करे। सामान्य जीवन में प्रयोग आने वाली वस्तुओं की पहचान कराये जैसे कपड़े, बर्तन, फल, पानी, अनाज आदि।
  • किसी भी तरह की गतिविधि में बच्चों को भी सहभागी बनाये जैसे – शादी, जन्मदिन पार्टी, धार्मिक स्थल, शॉपिंग आदि।
  • यदि आपके बच्चे को सामान्य वस्तुओं की पहचान है, वह दैनिक कार्यों को करने में सक्षम है और विद्यालय जाने की योग्यता रखता है तो उसे विद्यालय अवश्य भेजे।

Conclusion:

यदि आपके परिवार में भी Down Syndrome Baby है तो उसकी ख़ास देखभाल करे। अपने बच्चों को शिक्षित करने और उनके विकास की ज़िम्मेदारी माता-पिता की ही सबसे ज्यादा होती है अर्थात डाउन सिंड्रोम बेबी को शिक्षा दे, उनकी ज़रूरतों का ध्यान रखे और समय पर चिकित्सक से जांच करवाते रहे। आपका प्यार, धैर्य और उम्मीद ही डाउन सिंड्रोम बेबी को बेहतर बनाये रखने में मदद करता है।

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